हिंदी बने राष्ट्र भाषा - कविता - अंकुर सिंह

हमारा हो निज भाषा पर अधिकार,
प्रयोग हिंदी का करें इसका विस्तार।
निज भाषा है निज उन्नति का कारक,
मिटे निज भाषा से हमारा अंधकार।।

हिंदी है हिंदुस्तान की रानी,
हो रही अब हमसे बेगानी।
अन्य भाषा संग, हिंदी को अपनाओ
ताकि ना लगे हिंदी से हुई बेमानी।।

नवविवाहिता की शोभा बढ़ाती बिंदी,
वैसे निज भाषा जान हैं हमारी हिन्दी।
आओ मिल निज भाषा का करें विस्तार,
फिर गर्व करेंगी हमपर नई आबादी।।

हिंदी हम सब की हैं मातृ-भाषा,
छोड़ इसे ना करो तुम निराशा।
हिंदी बोलने में तुम मत शरमाओं,
ताकि हिंदी बने हमारी राष्ट्र भाषा।।

हिंदी हैं अपनी राजभाषा,
बनानी है इसे अब राष्ट्रभाषा।
हम सब मिल करें निज भाषा से प्यार,
ताकि हिंदी को ना मिले हमसे निराशा।।

महात्मा गांधी कहते थे,
हिंदी है जनमानस की भाषा।
उन्नीस सौं अठारह में कहा बापू ने,
हिंदी को बनाओ जल्दी राष्ट्र भाषा।।

पहली अंग्रेजी, फिर चीनी,
बोली जाने वाली ज्यादा भाषा।
हिंदी को हर कार्य में अपना,
ताकि हिंदी बने हमारी पहली भाषा।

अंकुर सिंह - चंदवक, जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

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