लूटना चाहते हो प्रकृति को
तुम जीतना चाहते हो पृथ्वी
तुम बनना चाहते हो विजेता।
हे मनुष्य ...
तुम भूल रहा है
अंह में अंधा होकर
प्रकृति, जननी है
जो कभी दासी नहीं होती
वो होती है दाता।
प्रियंका चौधरी परलीका - परलीका, नोहर, हनुमानगढ़ (राजस्थान)
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