सरसिज मुख मुस्कान अधर - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

नवप्रीत   हृदय   मधुरिम    शीतल   अनुराग  प्रिये।
कोमल   किसलय  शुभ गात्र  चारु  रतिराग   प्रिये।
स्वप्न लोक   आलोक   कुमुद   कुसम  पराग  प्रिये।
निशि कान्त मुदित लखि सोम प्रभा अभिसार प्रिये।
मधुमास   निकुंज   कुसुम   कुसुमित मधुसार प्रिये।
अभिनव    कोकिल  पंचम मधु  सुर मधु गान प्रिये।
अलिगूंज  मधु   मकरन्द    लुब्ध    गलहार    प्रिये।
अरुणिम   प्रभात   नव  ललित  रंग  कचनार प्रिये।
घन श्याम    जलज   नीलाभ  मुदित जलधार प्रिये।
चित्त   इन्द्रधनुष    सतरंग   प्रणय  शृड्गार    प्रिये।
श्रावण     विरही   नव आश    मिलन   उद्गार  प्रिये।
मधुवन    माधव  मन    विहग वृन्द    गुंजार   प्रिये। 
अनुकूल  विमल   अभिराम युगल   सुखसार  प्रिये।
अविराम  चारु    हर्षित    जीवन    आधार     प्रिये।
सुन     मुरली स्वर    संगीत   मधुर   उपहार   प्रिये।
दौड़ी    राधे   मनमोहन     सुर    मनहार       प्रिये।
रति मदन  बाण  फँस भान  हृदय    मँझधार  प्रिये।
सुन  राधे   यमुना   तट   कदम्ब   रच    रास   प्रिये।
राधा   प्रमुदित   मुकुलित  मुकुन्द    आभार   प्रिये।
श्री सरसिज  मुख  मुस्कान अधर   सुखधाम  प्रिये।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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