भारत विश्व पटल पर छाये - कविता - अनिल मिश्र प्रहरी

जग  बोले   तेरी    ही     भाषा 
प्राणों  की  उत्कट   अभिलाषा,  
तेरी  ही  छवि   विश्व    निहारे
अंचल   में   चंद्रिका,    सितारे, 
दिव्य,   मनोहर   तेरी    धरती 
ताप सकल तन-मन का हरती, 
कलकल  नदियाँ  हैं  प्रवाहमय
धवल  शैल-माला करतीं   जय।
          शीतल, सुन्दर, सुखमय तेरे साये
          भारत   विश्व- पटल  पर   छाये। 

जग  में   जब   छाये   अँधियार
निर्भय    हो    तू    करे    प्रहार, 
तू  बढ़   करना   कष्ट  निवारण 
पूरी   वसुधा   का   कर   तारण, 
संकट    में    जग   आये   द्वार 
माणिक,  मोती    का    ले   हार, 
आशा  की  किरणें  प्रकीर्ण  कर
पशुता की हर  शक्ति  जीर्ण  कर
          धरम-भरम का कंटक सकल मिटाये
          भारत   विश्व-   पटल    पर     छाये। 

विश्व    देखकर    हो  ललचाता 
दूजा   भारत    रचा    न   दाता, 
सबकी   आलिंगन   की   चाहत 
मिले  जगत्  को  तुझसे   राहत, 
ज्ञान-विभा से  जग  को   भर  दे 
इतना - ही बस भू  पर   कर   दे
शोणित  की  मिट   जाए   प्यास
जीवन  का  हर  पल     उल्लास।
          गुण तेरे हर्षित होकर जग  गाये
          भारत  विश्व - पटल  पर   छाये। 

अनिल मिश्र प्रहरी - पटना (बिहार)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos