हिंदी मेरी शान - कविता - कुलदीप दहिया "मरजाणा दीप"

मेरी आन
मेरा अरमान है हिंदी,
विविधता में रहे एकता
मेरी असली पहचान है हिंदी,
एक राष्ट्र, एक ही भाषा
भारत का सम्मान है हिंदी!

जीवन का हर भाव इसी से
सबका है लगाव इसी से,
एक सूत्र में बाँधे सबको
मेरा तो ये मान है हिंदी,
हिंद की ये माथे की बिंदिया
ख़ुद में समेटे हिंदुस्तान है हिंदी!!

देवनागरी की चादर ओढ़े
हर इसां में प्रेम जगाए,
सभ्यता का ये सागर गहरा,
विचारों का मेल कराये,
आगाज़ यही, अंजाम यही
इतनी है महान ये हिंदी!!!

क से कर्म, ख से खुशियाँ
ग से गीता का ज्ञान है हिंदी,
साहित्य और संस्कृति का
व से है वरदान ये हिंदी,
पाली इसका नाम पुराना
"दीप" कहे मेरी शान है हिंदी!!!!


कुलदीप दहिया "मरजाणा दीप" - हिसार (हरियाणा)

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