संदेश
स्वरूप प्रेम का - कविता - सुनीता रानी राठौर
प्रेम को परिभाषित करूँ वो शब्द कहाँ। है सृष्टि के कण-कण में रचा बसा प्रेम। जीवन का वीरानापन दूर करे वो है प्रेम रिश्तों में लाये…
गृहस्थी जीवन - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
गहस्थी सांसारिक जीवन स्वर्ग सम मानवीय कर्मस्थल, निखिल ध्येय पथ निर्माणक, देश, समाज, मानव लोकारोहण, अनुपम सार्वजनिक सोपान। शा…
उदासी - कविता - प्रवीन "पथिक"
मन बहुत उदास रहता है आजकल। आपकी यादें, ये दूरियां और ये अकेलापन, असह्य पीड़ा देते हैं मुझे। मस्तिष्क में एक अज्ञात हलचल, है बढ़ा…
दो पल की ज़िन्दगी - कविता - मधुस्मिता सेनापति
एक ख्वाब है जो अक्सर अधूरा होता है नयी चाहत जग जाती है जब पिछला ख्वाब पूरा होता है.......!! आज जो नया हैं कल वह हो जाती है पुर…
सामाजिक विकार - दोहा - संजय राजभर "समित"
किशोर अति कामुक बने, अति है खुला विचार। होता नहीं यकीन अब, देख सहज व्यभिचार।। अन्तर्मन से प्रेमिका, त्याग समर्पण भाव। मन मंदि…
एक अन्जाना - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
ये सोशल मीडिया भी क्या चीज है। एक अंजान अपरिचित व्यक्ति हमें फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता है और इंतजार करता है। लगातार हम देखते हैं …
यकीन आपको दिलाऊँ कैसे - गीत - चंदन कुमार अभी
जान से ज़्यादा आपको ही चाहा , यकीन आपको दिलाऊँ कैसे? जान बना लिया हूँ आपको , अब बिना जान के जी पाऊँ कैसे? देखें नहीं हो कभी आ…
श्रम ही ईश्वर है - कविता - सुधीर कुमार रंजन
हां, आज़ सबके साथ, मैंने भी जश्न मनाए, खुशियों के गीत गाए, लड्डुओं के भोग लगाए, मिट्टी के भी दीप जलाए, पटाखे भी जमकर फोड़…
जिंदगी एक पाठशाला हैं - कविता - मधुस्मिता सेनापति
जिंदगी कोई जंग नहीं यह तो एक पाठशाला हैं उम्र सी बढ़ती कक्षा, यह तो अनुभवों की माला हैं.......!! पाठशाला जो हमें, आत्म-ज्ञान क…
उफ़ानें हैं जवानी की - ग़ज़ल - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
उफ़ानें हैं जवानी की, तरंगें यों उफ़नती हैं। नशीली नैन मधुशाला, बनी मादक मचलती हैं। सुहानी चाँदनी रातें, अकेली वो थिरकती हैं…
भारत माँ के वीर - गीत - राहुल सिंह "शाहावादी"
भारत माँ के वीर शहीदों, तुमको यह शीश नमन करता है। लाज रखी भारत माता की, कुछ ॠण मुझपर भी बनता है।। भारत माँ के वीर -----…
वक्त की कसौटी - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
हम सब समय की कसौटी पर कभी न कभी जरूर कसे जाते हैं। अर्थात अच्छे और बुरे दौर से हर किसी को कभी न कभी गुजरना तो जरूर पड़ता है। र…
जीवन है अनबूझ पहेली - मुक्तक - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"
जीवन बीत रहा है पल-पल, तृष्णा लेकिन अभी अधूरी। जीवन और मृत्यु की प्रतिदिन, क्षण-क्षण घटती जाती दूरी। जीवन भर सुख वैभव के सामान जु…
हम बेटियाँ - कविता - रवि शंकर साह
हम बेटियों को श्राप है क्या? खुलकर हँसना पाप है क्या? बेटियों पर ही बंदिशें है क्यों? बेटों को मुक्त आकाश है क्यों? हमें लड़की ह…
जो सबके होते हैं - ग़ज़ल - आलोक कौशिक
जो सबके होते हैं वो किसी के नहीं होते लोग दिखते हैं जैसे अक्सर वैसे नहीं होते मेरे जैसे दिलफेंक भी होते हैं कुछ शायर ग़ज़ल लि…
गन्धमाद सुरभित वतन - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
हो मंगलमय अरुणिमा, खिले प्रगति जग फूल। दया धर्म करुणा हृदय, परहित नित अनुकूल।।१।। रहें बिना दुर्भाव का, मानस बने उदार। भारतमय अ…
सकारात्मक सोच है सुख का रहस्य - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सकारात्मक सोच तो जिंदगी बदल देती है। कहते हैं कि सकारात्मक विचार एवं नकारात्मक विचार बीज की तरह होते हैं, जिन्हें हम दिमाग रुपी ज…
संघर्ष - कविता - अतुल पाठक
कभी मुश्किलों के आगे, अपनी हिम्मत को टूटने मत देना। जब भी सामना हो मुश्किलों से, माता-पिता के संघर्ष को याद कर लेना। हर बड़ी मु…
बाढ़ विभीषिका - कविता - सुनीता रानी राठौर
सावन में उफनती तीव्र वेग से नदियां कभी वरदान कभी अभिशाप बनती। टूट जाते जब नये बांध और पुलिया आम जन के हृदय में दहशत भरती। विकर…
बेटी - सजल - संजय राजभर "समित"
संस्कृति की धार है बेटी ! आन-बान व सार है बेटी !! गुरु लघु और ब्रह्मांड सा रूप ! सृष्टि की आधार है बेटी !! कीचड़ उछाले गयें ह…
बच्चे - कविता - सतीश श्रीवास्तव
सुबह सुबह जब हो जाती है सब बच्चों से बात, लगता है सचमुच मिल जाती एक बड़ी सौगात। मन होता बेचैन घेरतीं जब भी दुख दुविधाएं, बच्चे दि…
आज के दिन का - कविता - कपिलदेव आर्य
आज के दिन का, मधुर मिलन का, मन से मन का, तुम कर लो वंदन! रीत के रथ पर, प्रीत के पथ का, हाथ थामकर, कर लो अभिनंदन! नई उमंग का,…
प्रभु की लीला - सत्यकथा - सुधीर श्रीवास्तव
जीवन में कभी कभी ऐसा कुछ अचानक घटित हो जाता है कि मानव स्वाभाविक रूप से तन, बमन, धन, से परेशान हो जाता है, समय/किस्मत खराब है, ईश्व…
फ़ना होके भी तेरा आवाज देना - ग़ज़ल - सुषमा दीक्षित शुक्ला
वो उजड़ा चमन याद आता रहा है । सुहाना समा दिल जलाता रहा है । सुलगती शमा सा फ़क़त दिल ये मेरा । पिघलता पिघलता जलाता रहा है । ये घाय…
वतन के लिए - कविता - नूरफातिमा खातून "नूरी"
है जान निसार वतन के लिए, सर झुकाए हैं नमन के लिए। गरीबों का सहारा बनो, सबकी आंखों का तारा बनो। सब छोड़ देंगे अमन के लिए, ह…
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर