दो पल की ज़िन्दगी - कविता - मधुस्मिता सेनापति

एक ख्वाब है
जो अक्सर अधूरा होता है
नयी चाहत जग जाती है
जब पिछला ख्वाब पूरा होता है.......!!

आज जो नया हैं
कल वह हो जाती है पुरानी
इन दो पल की जिंदगी में ही
लिखा है जन्म मृत्यु की कहानी.......!!

कभी लम्हा ऐसे भी आता है
जिसे बीता हुआ कल नजर आता है
बस यादें रह जाती हैं
याद करने के लिए
और वक्त सब कुछ लेकर गुजर जाता है.......!!

दो पल की जिंदगी है
आज बचपन है
तो कल जवानी
परसों बुढ़ापा है
फिर खत्म ये कहानी.......!!

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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