एक अन्जाना - कविता - सुधीर श्रीवास्तव

ये सोशल मीडिया भी 
क्या चीज है।
एक अंजान अपरिचित व्यक्ति
हमें फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता है
और इंतजार करता है।
लगातार हम देखते हैं
फिर असहाय से हो जाते हैं।
और चलताऊ ढंग से
उसकी दोस्ती स्वीकार कर लेते हैं।
देखते देखते वो
हमारा अजीज हो जाता है।
हम चैट करते हैं
धीरे धीरे उसे दिल के करीब पाते हैं,
उससे चैट किये बिना 
सो नहीं पाते
और न ही चैन पाते हैं।
इसका परिणाम कभी अच्छा
तो बहुत बार खराब भी होता है,
मर्यादा उल्लंघन का दुष्परिणाम 
भी सहने पड़ जाते हैं,
पर अब हम सोशल मीडिया के बिना
जीने की कल्पना तक भी 
नहीं कर पाते हैं।

सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)

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