जिंदगी एक पाठशाला हैं - कविता - मधुस्मिता सेनापति

जिंदगी कोई जंग नहीं
यह तो एक पाठशाला हैं
उम्र सी बढ़ती कक्षा,
यह तो अनुभवों की माला हैं.......!!

पाठशाला जो हमें,
आत्म-ज्ञान का पाठ पढ़ाया
इंद्रियों को काबू में रखना सिखाया
पाठशाला ही तो कोरे कागज पर,
जिंदगी के हर पहलू को,
लिखना सिखाया......!!

पाठशाला ही तो 
आत्मज्ञान का उजाला हैं
यही तो प्रगति की
प्रयोगशाला हैं........!!

जान लो तुम
यह जिंदगी कोई जंग नहीं
उम्र भर की अनुभव हैं
जहां घृणा, द्वेष, हिंसा का 
कोई गुंजाइश नहीं.......!!

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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