सकारात्मक सोच है सुख का रहस्य - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला

सकारात्मक सोच तो जिंदगी बदल देती है।
कहते हैं कि सकारात्मक विचार एवं नकारात्मक विचार बीज की तरह होते हैं, जिन्हें हम दिमाग रुपी जमीन में बोते हैं, जो आगे चलकर हमारे दृष्टिकोण व व्यवहार रूपी पेड़ का निर्धारण करते हैं।
एक तरफ नकारात्मक विचार हमें घोर अंधकार में धकेल सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ सकारात्मक सोच हमें असफलता के अंधकार से निकाल सकते हैं।
दूसरे की आलोचनाओं को भी अपनी हिम्मत बनाते हुए हमेशा सकारात्मक रहने की कोशिश करना चाहिए।
सकारात्मक सोच आपके अंदर उर्जा का संचार करती है, और आपको एक बेहतर इंसान बनाती है यही है सच्चे सुख का रहस्य।

सकारात्मक सोच एक जादू की तरह होती  है।
सकारात्मक सोच के बिना जिंदगी अधूरी होती है। सकारात्मक सोच की शक्ति से घोर अंधकार को भी आशा की किरण से रोशनी में बदला जा सकता है।

हमारे विचारों पर हमारा स्वयं नियंत्रण होता है इसलिए हमें यह तय करना होता है कि हमें सकारात्मक सोच लानी है या नकारात्मक क्योंकि हम जैसा सोचते हैं वैसे बन जाते हैं ।इसलिए कहा जाता है कि हमारे विचार जैसे होते हैं वैसा ही हमारा आचरण होता है।
यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपने दिमाग रूपी जमीन में कौन सा बीज बोते हैं।
थोड़ी सी चेतना एवं सावधानी से हम कांटेदार पेड़ को महकते फूलों के पेड़ में बदल सकते हैं। जिस तरह काले रंग का चश्मा पहनने पर हमें सब कुछ काला और लाल रंग का चश्मा पहनने पर लाल दिखाई देता है, उसी प्रकार नेगेटिव सोच से हमें चारों तरफ निराशा, दुख और असंतोष ही दिखाई देता है और पॉज़िटिव सोच से हमे खुशियां, संतोष तथा शांति मिलती है।

सुखी जीवन का रहस्य सकारात्मक सोच ही है। हमारे जीवन में विचारों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे विचारों से ही हमारे आसपास का वातावरण निर्मित होता है।
मान्यता है कि वर्तमान जीवन आपके विचारों की ही देन है। यदि आप में नेगेटिव विचार  पॉज़िटिव विचारों से ज्यादा प्रबल है तो आपका जीवन नकारात्मक एवं अवनति की ओर अग्रसर होगा और अगर पॉजिटिव विचार है तो जीवन सकारात्मक एवं प्रगतिशील होगा।

यह वैज्ञानिक रूप से साबित हो चुका है कि हमारे सकारात्मक विचार नकारात्मक विचारों की तुलना में काफी शक्तिशाली होते हैं।
विचार भी संक्रामक होते हैं।

यदि आप आशावादी और खुशमिजाज व्यक्तियों के साथ रहेंगे तो कुछ समय में आप भी अपने अंदर आत्मविश्वास एवं खुशी का संचार महसूस करेंगे। उसी प्रकार निराश व्यक्तियों के साथ रहने पर आप भी निराशा में डूबने लगेंगे।
बहुत ही आसानी से इस परिस्थिति से बच सकते हैं। वैज्ञानिक शोधों से सिद्ध हो चुका है यदि आप प्रतिदिन कुछ समय पॉजिटिव साहित्य पढ़ते हैं या सुनते हैं या पॉजिटिव माहौल में रहते हैं तो हमारे शरीर में डोपामाइन नामक हार्मोन के स्राव होने लगते हैं, यह हार्मोन हमें तनाव से मुक्त रखते हैं और आनंद का अनुभव कराते हैं, जिससे हमारा मन धीरे-धीरे स्वस्थ और प्रसन्न रहने लगता है, और इसका प्रभाव हमारे जीवन में दिखाई देने लगता है।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उ०प्र०)

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