संदेश
आज़ादी - लघुकथा - सुनीता रानी राठौर
राजू अपने पिता के साथ उदास बैठा था। घर के आसपास पूरे गाँव में बाढ़ का पानी भरा था। चार महीने से कोरोना के वजह से स्कूल की छुट्टी थी…
दिल की आवाज़ - कविता - शेखर कुमार रंजन
आज क्यों मेरा दिल, जोड़ो से धड़क रहा है क्या वो मेरे गलियों से, देखो तो गुज़र रही हैं। आज वर्षों बाद फिर मेरी, धड़कने रूकने सी ल…
मेरी कविता है बन आयी - कविता - बजरंगी लाल
खताएँ क्या हुयी मुझसे, जो तुमने साथ को छोड़ा, बुरा था क्या किया मैंने, जो तुमने हाथ को छोड़ा। तुम्हारी…
फरिश्ते - लघुकथा - सतीश श्रीवास्तव
खटिया पर पड़े बीमार पिता ने आवाज लगाई- "परमेश्वर एक गिलास पानी तो दे गर्म करके... कहते गर्म पानी बीमारी में अच्छा होता है।&quo…
ऐसे बढायें इम्युनिटी - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए संतुलित आहार लेना जरूरी होता है, जिससे आप दैनिक पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा कर पाएं, इससे …
प्रकृति आज बैचेन है - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
प्रकृति आज बैचेन है, देख मनुज आचार। जिसने दी जीवन उसे, करे प्रकृति संहार।।१।। क्षिति जल पावक नभ अनिल, बना सकल संसार। बने प्रदूषि…
शिक्षा का महत्व - कविता - मधुस्मिता सेनापति
अंधकार को दूर कर जीवन में जो प्रकाश फैलाता है अज्ञानी के मन में जो ज्ञान का दीप फैलाता है वह तो शिक्षा हैं जो दुर्गम को सरल बना…
ज़िंदगी गुनगुना रही है - कविता - कपिलदेव आर्य
हो गई है सुबह मख़मली सी, और ज़िन्दगी गुनगुना रही है! खिले उठे हैं हज़ारों फूल यारा, उठो, तुम्हें ख़ुशियाँ बुला रही है! तोड़कर …
दिव्य बनारस - कविता - मनोज यादव
सुबह बनारस, शाम बनारस हर साँसों पर नाम बनारस। घंटो घड़ियालों की धुन और ताहिर सा कुरान बनारस।। राम बनारस, रमजान बनारस अल्लाहः स…
आज फिर वह याद आया - गीत - राहुल सिंह "शाहावादी"
साँझ होने के समय जब, तुम हमारे साथ होते । स्वर्ग की भी चाह हमको, फिर लुभा पाती नही । छोड़कर तुम चल दिए क्यूँ, …
अपने ही गाँव में - कविता - चंदन कुमार अभी
माता-पिता के पाँव में, माँ की आँचल के छाँव में। अक्सर मैं हँसता था, अपने ही गाँव में। फिर समय की मार चली, दुश्मनों की प्रहार च…
हो रामराज्य निर्भेद वतन - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मेरे सपनों का भारत जग, सुरभित सुष्मित अभिराम बने। बिन दिन दुःखी समता मूलक, शिक्षित उन्नत सुखधाम बने। हो पूर…
छुपी चाहत - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
छुपी चाहत हमें उनकी समझ आई इशारे में बसी उनकी अदा प्यारी नज़र के हर नज़ारे में कहा दिल ने संभल जाओ ,रहोगे चुप कहो कब तक फसी कश्ती …
पचत नईंयाँ - बुंदेली ग़ज़ल - महेश कटारे "सुगम"
पेट में बात पचत नईंयाँ कये बिन चैन परत नईंयाँ खा खा सांड़ परे हैं लरका उनकौ मांस दबत नईंयाँ रात रात भर देत दोंदरा जल्दी कभऊँ…
निंदा की परवाह मत करें - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय। बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय। अर्थात कहते हैं जो हमारी निंदा करें उसे अधिकाधिक अपने प…
दोस्ती एक अनमोल रिश्ता है - कविता - मधुस्मिता सेनापति
यह रिश्ता है उम्र भर निभाने का यहाँ कोई दर्द नहीं रोने और रुलाने का दोस्ती तो अरमान है एक खुशी के आशियाने का........ यह तो फर्…
हिसाब मोहब्बत का - कविता - कपिलदेव आर्य
सुना है कि तुम पाई- पाई का हिसाब रखती हो, अपनी बड़ी दुकान में ऊंचा मुक़ाम रखती हो! सुना है, तुमने हीरे-जवाहरात बेशूमार जुटा लिये,…
एक दिन मंज़िल मिल जाएगी - कविता - आलोक कौशिक
ख़ुशियों का उजाला ज़रूर होगा बेबसी की ये रात बीत जाएगी कट जाएगा सफ़र संघर्ष का एक दिन मंज़िल मिल जाएगी खो गया है जो राह-ए-सफ़र …
तसव्वुर - ग़ज़ल - प्रदीप श्रीवास्तव
तुम्हीं हर वक़्त तसव्वुर में बसे हो जैसे । बनके मुस्कान इन होंठों पे रचे हो जैसे ।। बिन तेरे ज़िंदगी अधूरी- अधूरी मेरी, बाँधे दामन…
शिक्षा का मूल उद्देश्य - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जीवन की नींव ही शिक्षा है।अतः शिक्षा का मूल उद्देश्य रोजगार के साथ-साथ चरित्र निर्माण होना परम आवश्यक है। बिना जीवन मूल्यों के उ…
आईना सी है ज़िंदगी - कविता - कपिलदेव आर्य
आईना सी है ज़िन्दगी, तू मुस्कुरा, और ये ज़िन्दगी भी मुस्कुरा देगी! क्यों रोता है कि कुछ मिला नहीं? तू मांग तो सही, ज़िंदगी इतना…
बरसात - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
छायी नभ में घनघोर घटा , मानो नभ के घुंघराले जटा, गर्जन कर चमक रही बिजुरी नीलाभ बरसती ये बरसा। है सजी धजी नव यौवन सी, है असरद…
संयुक्त परिवार - कविता - मधुस्मिता सेनापति
गूंथ गूंथ कर जैसे मोती बन जाता हैं गले का हार रिश्ते की डोरी से बंध कर बनता है यह संयुक्त परिवार....... मुसीबत में खड़ा जो बनते…
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