दिव्य बनारस - कविता - मनोज यादव

सुबह बनारस, शाम  बनारस
हर साँसों पर नाम बनारस।
घंटो घड़ियालों की धुन
और ताहिर सा कुरान बनारस।।

राम बनारस, रमजान बनारस
अल्लाहः से पहचान बनारस।
शमसानो में लिपटी गाथा
और नीलकंठ का गाँव बनारस।।

घाटो का इतिहास बनारस
महामना का खास बनारस।
जहाँ की गलियां कहती चौपाई
वहीं, उर्दू की मिठास बनारस।।

संकट मोचन का वास बनारस
शहरो में बिंदास बनारस।
जहाँ पानो में घुलती है, मिश्री
वह क्योटो से भी खास बनारस।।

स्वर्ग जैसा आभास बनारस
रसिकों  का ये खास बनारस।
भस्म की राखी माथे पर मलता
जिन्दा और विंदास बनारस।।

मनोज यादव - गढ़वाल, श्रीनगर (उत्तराखंड)

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