निंदा की परवाह मत करें - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला

निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय।
बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय।
अर्थात कहते हैं जो हमारी निंदा करें उसे अधिकाधिक अपने पास ही रखना चाहिए ,वह तो बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बता कर हमारे स्वभाव को साफ करता है।अर्थात निंदा की परवाह किए बिना आगे बढ़ते रहना चाहिए।
कबीर दास जी की यह पंक्तियां सार्थक ही कही जाएगी ,लेकिन इसके लिए हमें खुद के अंदर सहन शक्ति विकसित करनी होगी, कि हम अपनी निंदा स्वीकार कर पाए और अपने आलोचकों के साथ रह पाए।

वैसे तो हम सब ऐसे लोगों से दूर ही रहना पसंद करते हैं जो हमारी निंदा करते हैं  ,क्योंकि हम खुले दिल से अपनी आलोचना स्वीकार नहीं कर पाते।
आज भी बहुत ही कम होंगे जो वाकई में हमारी कमियों को सही तरीके से बताएं।
और उन्हें  सुधार करवाने का प्रयास करें। 
हमें  अपने लक्ष्य की तरफ ध्यान केंद्रित रखना होगा और  निंदकों की ज्यादा परवाह नहीं करनी चाहिए ।अन्यथा हमारा मनोबल गिर जाएगा और हम लक्ष्य तक पहुंचने में सफल नहीं होंगे ।तो इस तरह निंदक की मंशा भी पूरी हो जाएगी।

निंदक भी दो तरह के होते हैं एक तो जलकर ईर्ष्या  बस निंदा करने वाले दूसरे आलोचना के जरिए सुधार करवाने की इच्छा रखने वाले।
ऐसे में अपने विवेक से उनकी मंशा को पढ़ कर लोगों की बात को नजरअंदाज करना है या फिर सुधार करने का प्रयत्न करना है यह आप पर निर्भर करता है।
यदि आप यह पहचान पाते हैं कि वह जलन में निंदा कर रहा है या आपका हितैषी है।
यूँ तो किसी की पीठ पीछे बुराई करना अर्थात निंदा करना नहीं चाहिए।
यदि हम ऐसा करते हैं तो उसके किए हुए पाप कर्म हमारे खाते में आते हैं, और उन पाप कर्मों का भोग हमें भुगतना पड़ता है।

यह मनुष्य का स्वभाव है कि जहां 4 लोग एक साथ बैठे हो वहां जो अनुपस्थित होता है उसकी बुराई शुरू हो जाती है।
लोगों की निंदा किए बिना दुष्ट व्यक्तियों को आनंद नहीं आता, जैसे कौवा  कितने भी रसों का भोग करता है परंतु गंदगी के बिना उसकी तृप्ति  नहीं होती।
यदि  हम किसी व्यक्ति  की बुराई करते हैं  तो पाप के भागीदार होते हैं।
अगर आपको लगता है हमारे आगे पीछे निंदक  हैं और मेरे लक्ष्य मार्ग में बाधा पहुंचा रहे हैं तो आपको वाकई उनकी बात पर ध्यान ना दे कर आगे बढ़ना है,,,, अपने लक्ष्य तक पहुंचना है, यही श्रेयस्कर है और यही उन निदको एवं जलने वालों  का जवाब भी है।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उ०प्र०)

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