मेरी कविता है बन आयी - कविता - बजरंगी लाल

खताएँ क्या हुयी मुझसे,
जो तुमने साथ को छोड़ा,
             बुरा था क्या किया मैंने,
             जो तुमने हाथ को छोड़ा।
तुम्हारी हर अदाओं पर-
मैं लट्टू सा रहा नचता,
              मगर तुमने हमारे दिल को-
              बेरहमी से क्यों तोड़ा।
दिल तोड़ा मगर दिल की-
तुम्हें आवाज़ ना आयी,
               तुम भूली मुझे ऐसे-
               कभी मेंरी याद ना आयी।
मेंरे टूटे हुए दिल के-
ए टुकड़े शब्द में बिखरे,
                वो सारे शब्द जुड़-जुड़कर-
                मेंरी कविता है बन आयी।
मैं इस कविता को मंचों पर
हमेंशा गुनगुनाऊँगा, 
                भरी महफ़िल के सम्मुख मैं-
                 तुम्हें हर पल बुलाऊँगा।
मैं अपने मन के ईश से-
हूँ ए प्रार्थना करता,
                  तूँ मुझको भूल जाए पर,
                  तुझे ना मैं भुलाऊँगा।।


बजरंगी लाल - डीहपुर, दीदारगंज, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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