संदेश
बढ़ेगा आगे भारत (भाग १) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(१) कल था महा विशाल, हमारा प्यारा भारत। आज हुआ जो हाल, करें किसपर हम लानत? कल अफ़ग़ानिस्तान, हमारा ही था प्यारे। जावा पाकिस्तान, अंक में…
हठ करती प्रिय राधिका - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
लिये हाथ बांँसुरिया, कृष्ण चन्द्र मुस्कान। हठ करती प्रिय राधिका, श्रवण बांँसुरी तान।।१।। सुन राधे धीरज धरो, खाऊँ मैं नवनीत। चलें पुन: …
नया दस्तूर - ग़ज़ल - मनजीत भोला
महोबत का तेरी तक़रीर में पैग़ाम होता है, मगर सूबे में इस के बाद क़त्लेआम होता है। नया दस्तूर है यारो नए दौरे-सियासत का, यहाँ मक़तूल के सर …
फिर एक बार - कविता - डॉ. विजय पंडित
एक बार वहीं से फिर शुरुआत करना चाहता हूँ, फिर एक बार मैं वही पुराने दिन जीना चाहता हूँ। दोस्तों के साथ कभी शुरू किया था जो सफ़र, संघर्ष…
नशा - कुण्डलिया छंद - डॉ. अवधेश कुमार अवध
पीते-पीते कह गया, होती बहुत ख़राब। दूर रहो इससे अवध, कहते जिसे शराब।। कहते जिसे शराब, शराफ़त की है दुश्मन। सरेआम बदनाम, कराती द्वारे-आँग…
आँखों के सामने - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
आँखों के सामने देख आपका ये चेहरा, दिल खिला गुलाब सा नींद करे किनारा। लगता है जागते रहें सारी रात बस यूँ ही साथ न छूटे अपना, न हो कभी …
खोया खोया सा रहता हूँ - कविता - अंकुर सिंह
आजकल जीवन बड़ा मुझको, अकेला अकेला सा लगता है। तुम्हारे साथ ना होने से, जीवन खाली खाली सा लगता है।। जब जब तन्हा होता हूँ मैं, तुझ बिन ब…
वादा निभा रहा हूँ - कविता - चंदन कुमार अभी
खुशियों वाली महफ़िल को छोड़कर, तन्हाइयों की महफ़िल में जा रहा हूँ। तोड़कर तुझसे सारी रिश्तें-नातें, फिर भी तेरा वादा निभा रहा हूँ। जो भी व…
माँ शारदे को प्रथम नमन - गीत - रमाकांत सोनी
माँ तेरे दरबार आया हूँ, गीतों का गजरा लाया हूँ, कृपा माँ तेरी पाया हूँ, खिल रहा शब्दों का चमन है, माँ शारदे को प्रथम नमन है। लफ़्ज़ों …
मृदुल वसंत देता खुशी अनंत - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मृदुल वसंत देता खुशी अनंत, मुकलित रसाल सुरभित दिग्दिगन्त, अरुणिम प्रभात नवपल्लव निकुंज, पुष्पित पराग पुष्प महकता है। चहुँदिशि निर्मल भ…
सरस्वती वंदना - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जयति जय जय माँ सरस्वति, जयति वीणा वादिनी। जगत का कल्याण कर माँ, घोर तम की नाशिनी। भूल मेरी माफ़ कर माँ, सुन मेरी फरियाद को। त्याग दे सं…
निराला का वसंत - कविता - विनय "विनम्र"
रम रहा कौन था काल शिखर के मस्तक पर, नव बसन्त पल्लव गुंजन के मधुमय सा स्वर, कलुष दंड को भेद तिमीर को विच्छेदित कर, अरुणोदय से अंतस भर …
वीणा पाणि नमन चरणों में - गीत - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"
वीणा पाणि नमन चरणों में, माँ स्वीकार करो। ज्ञान ज्योति के नव प्रकाश का, माँ विस्तार करो। आओ माँ इस हृदय कमल पर, आसन लो मन पावन कर दो। …
बसन्त की सौग़ात - कविता - रमेश कुमार सोनी
शर्माते खड़े आम्र कुँज में कोयली की मधुर तान सुन बाग-बगीचों की रौनकें जवाँ हुईं पलाश दहकने को तैयार होने लगे पुरवाई ने संदेश दिया कि…
जय शारदे मात - गीत - समुन्द्र सिंह पंवार
तेरी जय हो शारदे मात, तेरी जय हो शारदे मात। तेरी सूरत सै माँ प्यारी, तू करती हंस सवारी। सै वीणा तेरे हाथ, तेरी जय हो शारदे मात।। तू गी…
वसंत पंचमी - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
हरियाली मन में है छाई, सुंदर सुमन ने सुगंध उड़ाई। हृदय प्रफुल्लित खिल-खिल जाएँ, मस्ती में गीत मल्हार सब गाएँ। प्रकृति नए-नए रूप दिखाएँ,…
बसंत ऋतु - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
सौंदर्यवान प्रकृति नई पुष्प सुसज्जित धरा हुई, चढ़कर अमर सज्जित हुए ईश्वर के चरणों मे जब जब, तब अमर बेल बढ़ती गई धरा पे जब हुआ आगमन, ब…
स्वर बिन सूना - कविता - विनय विश्वा
मन भावे है जीवन जोत जागे। कर वीणा हो सुर की गंगा बहे। ज्ञानदायनी हंसवाहनी माते तेरे बिना ये जग सूना लागे है। न सुर कंठे जगत लागे गूंगे…
शहीदों को नमन - कविता - विनय "विनम्र"
अपने खून से जो सींचते हैं मातृभूमि को सदा, ग़म न उनको था तनिक जान की परवाह का, आग के शोलों में तप फ़ौलाद का सीना लिये, जिए तो माँ भारती,…
जब हम जवाँ होंगे - गीत - राम प्रसाद आर्य "रमेश"
स्वतन्त्रता सेनानानियों/शहीदों के बचपन के भाव उन्हीं के शब्दों में जब हम जवाँ होंगे, जाने कहाँ होंगे। लेकिन जहाँ होंगे वहाँ, आज़ाद रहे…
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