डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी" - गिरिडीह (झारखण्ड)
बढ़ेगा आगे भारत (भाग १) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
बुधवार, फ़रवरी 17, 2021
(१)
कल था महा विशाल, हमारा प्यारा भारत।
आज हुआ जो हाल, करें किसपर हम लानत?
कल अफ़ग़ानिस्तान, हमारा ही था प्यारे।
जावा पाकिस्तान, अंक में पले हमारे।
मालदीव भूटान, सुमात्रा बर्मा तिब्बत।
थी अपनी ही शान, कभी तो सोचो पातक!
वियतनाम को भूल, भला हम कैसे सकते?
इंडोनेशिया समूल, गोद में अपने पलते।
कंबोडिया निहाल, हुआ अपने आँचल में।
बीते कल नेपाल, बसा था हिंद महल में।
मलेशिया तत्काल, गोद में था किलकारा।
बांग्लादेश सुकाल, यहीं पे सतत निहारा।
खंडित किया स्वदेश, हमारा किसने कब-कब?
भारत का परिवेश, बिगाड़ा किसने जब-तब?
चिंतन कर ले यार, पुरानी कल की बातें।
व्यर्थ तर्क-तकरार, किए मत काटो रातें।
अपना भारत देश, करो मत खंडित प्यारे।
स्वस्थ रखो परिवेश, लड़ो मत बिना विचारे।
खंड-खंड को एक, हमें ही करना होगा।
प्रेम-प्रीत सद्भाव, हृदय में भरना होगा।
चलो मिलाओ हाथ, करो भारत जयकारा।
हम सब हैं इक साथ, लगाओ दिल से नारा।
समृद्ध बनेगा देश, झोंक देंगे हम ताकत।
मन में चाह अशेष, बढ़ेगा आगे भारत।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर