बढ़ेगा आगे भारत (भाग १) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"

(१)
कल था महा विशाल, हमारा प्यारा भारत।
आज हुआ जो हाल, करें किसपर हम लानत?

कल अफ़ग़ानिस्तान, हमारा ही था प्यारे।
जावा पाकिस्तान, अंक में पले हमारे।

मालदीव भूटान, सुमात्रा बर्मा तिब्बत।
थी अपनी ही शान, कभी तो सोचो पातक!

वियतनाम को भूल, भला हम कैसे सकते?
इंडोनेशिया समूल, गोद में अपने पलते।

कंबोडिया निहाल, हुआ अपने आँचल में।
बीते कल नेपाल, बसा था हिंद महल में।

मलेशिया तत्काल, गोद में था किलकारा।
बांग्लादेश सुकाल, यहीं पे सतत निहारा।

खंडित किया स्वदेश, हमारा किसने कब-कब?
भारत का परिवेश, बिगाड़ा किसने जब-तब?

चिंतन कर ले यार, पुरानी कल की बातें।
व्यर्थ तर्क-तकरार, किए मत काटो रातें।

अपना भारत देश, करो मत खंडित प्यारे।
स्वस्थ रखो परिवेश, लड़ो मत बिना विचारे।

खंड-खंड को एक, हमें ही करना होगा।
प्रेम-प्रीत सद्भाव, हृदय में भरना होगा।

चलो मिलाओ हाथ, करो भारत जयकारा।
हम सब हैं इक साथ, लगाओ दिल से नारा।

समृद्ध बनेगा देश, झोंक देंगे हम ताकत।
मन में चाह अशेष, बढ़ेगा आगे भारत।।

डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी" - गिरिडीह (झारखण्ड)

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