माँ शारदे को प्रथम नमन - गीत - रमाकांत सोनी

माँ तेरे दरबार आया हूँ,
गीतों का गजरा लाया हूँ, 
कृपा माँ तेरी पाया हूँ, 
खिल रहा शब्दों का चमन है,
माँ शारदे को प्रथम नमन है।

लफ़्ज़ों के मोती चुनकर, 
सुंदर सुमनहार बुनकर, 
मंत्रमुग्ध महफ़िल होती, 
वीणा की झंकार सुनकर,
गूंजे जय जयकार गगन है, 
माँ शारदे को प्रथम नमन है।

मन मंदिर में दीप जलाता, 
आलोकित हृदय कर माता,
मन का कोना कोना जगमग,
रोशन कर दो बुद्धि विधाता,
क़लमकार सब करते वंदन है,
माँ शारदे को प्रथम नमन है।

सोई क़िस्मत आज जगा दो, 
भाग्य का तारा चमका दो, 
भाव सिंधु में मोती भरकर, 
काव्य सरिता आज बहा दो,
साधक साधना लीन मगन है, 
माँ शारदे को प्रथम नमन है।

दोहा मुक्तक गीत ग़ज़ल से, 
छंद सोरठा और सजल से, 
मधुर मधुर बहती पुरवाई, 
कीर्ति पताका नभ लहराई, 
हंसों का परवाज गगन है, 
माँ शारदे को प्रथम नमन है।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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