सौंदर्यवान प्रकृति नई
पुष्प सुसज्जित धरा हुई,
चढ़कर अमर सज्जित हुए
ईश्वर के चरणों मे जब जब,
तब अमर बेल बढ़ती गई
धरा पे जब हुआ आगमन,
बसंत ऋतु माँ सरस्वती
वीणा के झंकार से,
शब्दों की ध्वनि हुई
तब सौंदर्यवान प्रकृति हुई।
कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)