संदेश
हे! अन्नदाता - कविता - आर सी यादव
अरूणोदय के साथ ही उदित होती है ये कहानी जो चलती रहती है निरन्तर सूर्यास्त के बाद भी। घनघोर घटाओं में क्रूर क्रंदन करती चपला तुम अडिग…
अमावस की रात - गीत - संजय राजभर "समित"
पहले प्यार की पहली, अपनी मुलाक़ात थी।। काली-काली भयावह! अमावस की रात थी।। इंतज़ार की घड़ी में, हर पल बेचैनी थी। बस एक झलक के लिए, नज़रें…
माँ भागीरथी वेदना - कविता - विनय "विनम्र"
है, जय करना बेकार तेरा, अब कचरे का मजधार मेरा, मैं चैन से, स्वर्ग में रहती थी, देवों के अंतस बहती थी, वेदों का होता पाठ जहाँ, सतय…
सूरजमुखी - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
सूरज की ओर मुँह किए खिल रहे, पीले-पीले सुंदर सूरजमुखी के फूल। भोर की पहली किरण निकलते ही, खिलखिला उठते सूरजमुखी के फूल। शरद रातों में …
स्वामी विवेकानंद - कविता - रमाकांत सोनी
महानायक महा चिंतक, धर्मगुरु समाज सुधारक, केसरिया बाना में दमके, विवेकानन्द साफ़ा धारक। विश्व धर्म सम्मेलन में दिलाकर भारत को एक नई पहच…
सफ़र-ए-ज़िन्दगी - कविता - तेज देवांगन
ज़िंदगी के सफ़र में, मैं कुछ तो खोता जा रहा हूँ, मंज़िले पाकर भी, अपनों से दूर होता जा रहा हूँ। जितनी कदम बढ़ाए, उतनी बड़ी मनोरथ, उतनी म…
स्वामी विवेकानंद : आज भी प्रासंगिक - आलेख - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
साल 1886। श्री श्री रामकृष्ण परमहंस देव इहलोक से विदा लेने से पूर्व अपने प्रिय शिष्य नरेन्द्रनाथ दत्त को अपने पास बुलाकर बोले- 'नर…
उठो विवेकानंद बनो - कविता - विनय विश्वा
हे भारत के वीर सपूतों उठो विवेकानंद बनो। अपने भारत नीज को पहचानों तुम उठो तब तक न रुको लक्ष्य न जब तक पा लो तुम। हे भारत के वीर सपूतो…
हिन्दी भाषा - कविता - गणपत लाल उदय
आओं मिलकर ऐसा काम करें हिंदी लिखें और हिंदी में बात करें। बनाएँ हिंदी को दिल की धड़कन मौन शब्दावली भी बोले मुँख पर। मजबूत अपनी यह ब…
ठंड भी सुनती कहाँ - नज़्म - सुषमा दीक्षित शुक्ला
उफ़ ये कम्प लाती सर्द का, अलग अलग मिज़ाज है। बेबस ग़रीबो के लिए तो, बस सज़ा जैसा आज है। कुछ वाहहह वालों के लिए, तो मौज़ का आग़ाज़ है। कुछ के …
मधु माधवी - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
अरुणाभ विश्व खिलता उपवन, कुसुमित सुगन्ध मादक चितवन, बह मन्द पवन मधुमास मत्त, दिलबाग रसाल मुकुल मुग्धे। सतरंग तितलियाँ उड़…
ज़रूरी तो नहीं - सजल - विकाश बैनीवाल
तुझसे सुबह शाम मिलूँ, ज़रूरी तो नहीं, तेरे नाम पे ग़ज़लें कहूँ, ज़रूरी तो नहीं। बेशक बेइंतहा है प्यार, तुझसे जानेमन, मैं इसका दिखावा करूँ,…
मैंने जो देखा - कविता - दीपक राही
मैंने कच्चे घरों को टूटते देखा, आँसुओं को ज़मीन पर टपकते हुए देखा, तन्हाइयों से ख़ुद को लड़ते हुए देखा, लहरों को किनारों से मिलते हुए दे…
माँ - कविता - प्रतिभा त्रिपाठी
माँ में है मिश्री सी मिठास, उससे है जीने की आस। वो है अपनेपन का अहसास, है हर रिश्ते में ख़ास। कभी बनना पड़ता है उसे, कड़वी दवा। कभी गर्…
आगे बढ़ना सीखा - कविता - श्रवण निर्वाण
ज़रूर! लाख कमियाँ है मुझमें, ये तो मिल जाती हर किसी में, मेरे अपने विचार, नहीं लाचार, स्वतंत्र हैं मेरे ह्रदय के ये उद्गार। मन भावों के…
मुस्कुराते रहो - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
मुस्कुराते रहो गुनगुनाते रहो, फ़ासले न रखो दिल मिलाते रहो। प्यार से बढ़कर दुनिया में और कुछ भी नहीं, मोहब्बतों की पनाहें बसाते रहो। ज़िन्…
तुम्हारी हिन्दी - कविता - विनय "विनम्र"
मत करो मुझे व्याकरण बद्ध, मुझको रहने दो अलंकरण मुक्त, मैं सरस, सरल हिन्दी हूँ मुझको जी जाओ गरल नहीं हूँ अमृत हूँ, विश्वास सहित बस पी ज…
हिन्दी मेरी पहचान - कविता - पुनेश समदर्शी
आज हिन्दी है तो अपनी बात रख पाता हूँ, अंग्रेजी नहीं आती तो कहाँ पछताता हूँ। अपनी कहूँ तुम्हारी सुनूँ ये हुनर हिन्दी है, सच कहूँ तो मेर…
ख़ुद का निर्माण करें - लेख - सुधीर श्रीवास्तव
मानव जीवन अनमोल है, इस बात से इंकार कोई नहीं करता। परंतु यह भी विडंबना ही है कि ईश्वर अंश रुपी शरीर का हम उतना मान सम्मान नहीं करते, ज…
जाने क्यों लोग - गीत - राम प्रसाद आर्य "रमेश"
जाने क्यों लोग राह से यों, भटक जाते हैं। जाने क्यों लोग......।। दर्द सह लेते हैं, दवा नहीं लेते हैं। दर्द सस्ता, दवा को महँगी, कह देते…
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