अरुणाभ विश्व खिलता उपवन,
कुसुमित सुगन्ध मादक चितवन,
बह मन्द पवन मधुमास मत्त,
दिलबाग रसाल मुकुल मुग्धे।
सतरंग तितलियाँ उड़े मुदित,
मंडराय कुसुम मधुमीत मधुप,
कृशकाय झूमे लता लवंग,
पिकगान मधुर सुन गीत प्रिये।
चहुँ दिशा मनोरम गन्धमाद,
बहुरंग तितलियाँ कुसुम डाल,
दिलबाग हृदय सुरभित उपवन,
माधुर्य चित्त मधुशाल प्रिये।
अरुणिम प्रभात लखि रमणी मन,
ऋतुराज माधवी रंजित वन,
बहुविधि निनाद मृदु विहगवृन्द,
मनमोर नृत्य मधुरास प्रिये।
रविकिरणपूंज शीतल मधुरिम,
कमल सरोवर कुसमित सुरभित,
खिल चारु माधुरी जवाकुसुम,
माधवी मत्त गुलज़ार प्रिये।
मुरलीधर मधुमासी मधुवन,
राधा माधव मधुरिम मुकुंद,
निशिचन्द्र प्रभा नवनीत नवल,
मधु प्रीत मीत रच रास प्रिये।
रंग बिरंग तरंगित हृदय चमन,
कलकल छलछल सरिता तरंग,
सुष्मित प्रकृति धरा हरित पर्वत,
मधुमास शाम अभिराम प्रिये।
अनुनाद विविध पशुवृन्द मुदित,
माधव मतंग मधुमत्त रमण,
मुस्कान चारु बिम्बाधर फल,
हाला मधुशाला भाष प्रिये।
आनंद चित्त मधुमास सुभग,
मधु प्रीत मिलन श्रीकान्त युगल,
बहुरंग गुलाबी गाल भाल,
होली गुलाल सतरंग प्रिये।
हिमराज शुभ्र प्रमुदित वसन्त,
स्वच्छ पर्यावरण दिग्दिगन्त,
अरुणिम प्रभात स्वर्णिम आंचल,
कैलाश उमापति प्रीत हिये।
सुगन्धित सुमन कुसुमित निकुंज,
मधुमास मनोहर भँवर गुंज।
लखि आनंदित चहुँलोक धरा,
मदन बाण घाव अति गहन प्रिये।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली