मुस्कुराते रहो - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"

मुस्कुराते रहो गुनगुनाते रहो,
फ़ासले न रखो दिल मिलाते रहो।

प्यार से बढ़कर दुनिया में और कुछ भी नहीं,
मोहब्बतों की पनाहें बसाते रहो।

ज़िन्दगी को हसीन तुम बनाते रहो,
प्रेम का पुष्प मन में खिलाते रहो।

सितारों की तरह झिलमिलाते रहो,
चाँद सा रौशन चेहरा दिखाते रहो।

दर्द कितना भी हो नम ना आँखें करो,
ग़म छुपाते रहो मुस्कुराते रहो।

फ़िज़ाओं में मस्ती सी छा जाते रहो,
खुलती ज़ुल्फ़ों की खुशबू उड़ाते रहो।

मन के मनके से तुम जगमगाते रहो,
दिल का किस्सा हमें तुम सुनाते रहो।

जब तलक आफ़ताब और माहताब हैं,
ज़िन्दगी की तरह मुस्कुराते रहो।

अतुल पाठक "धैर्य" - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)

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