संदेश
नारी - गीत - डॉ. देवेन्द्र शर्मा
भोले भगवन के मन में एक आया पूत विचार, उन ने रची एक सुंदर रचना सृष्टि का शृंगार। भेंट कर दिया मानवता को सुंदर वह उपहार, भरकर उसमें …
नारियाँ - कविता - ममता रानी सिन्हा
हम नारियाँ सदा बहुत मज़बूत होती हैं, जग के लिए सदा प्रथमा बुद्ध होती हैं, सृष्टि संचालन निमित्त मूलाभूत होती हैं, हाँ! सचमुच हम बहुत मज़…
औरत - कविता - स्मृति चौधरी
संवेदना और सादगी से निर्ध्वनि के शब्दों को बुनती, यथार्थ और परिकल्पना को कैनवस पर उकेरती, इच्छा और विश्वास के मध्य अस्तित्व को संजोती,…
पति-पत्नी संवाद - एकांकी - सरिता श्रीवास्तव "श्री"
पति:- माँ की तबियत ख़राब है आज तुम छुट्टी लेलो। पत्नी:- नहीं मेरी कई छुट्टियाँ हो चुकी हैं। इस बार छुट्टी तुम लेलो। पति:- मै छुट्टी कै…
मैं नारी हूँ - कविता - गुड़िया सिंह
अपने हाथों, अपने सपनो का गला घोंटा, अपना सम्पूर्ण जीवन, मैंने औरो को सौंपा। मैं नारी हूँ। बंधे है पाँव मेरे समाज के खोखले धरणाओं की ज़ं…
नारी शक्ति: आदिशक्ति - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
आदिशक्ति जगत जननी का इस धरा पर जीवित स्वरूप हैं हमारी माँ, बहन, बेटियाँ हमारी नारी शक्तियाँ। जन्म से मृत्यु तक किसी न किसी रुप में हम…
नारी तू महान है - कविता - गुड़िया सिंह
तू वन्दनीय, तू पूजनीय, तू ही जगत की सार है, तुझसे है संचलित यह सृष्टि, "ऐ नारी" तू महान है। तू लक्ष्मी, तू सरस्वती, तू शक्ति…
औरत - कविता - नृपेंद्र शर्मा "सागर"
मैं हमेशा औरों में ही रत हूँ, हाँ हाँ मैं एक औरत हूँ। मैं हमेशा प्यार वात्सल्य एवं ममता लुटाती हूँ। हाँ हाँ मैं एक औरत हूँ।। मैं बेटी …
नारी तुम महान हो - कविता - विनय विश्वा
धारणी धरा प्रकृति यौवन, तुम वात्सल्य की पारावार हो। नारी तुम महान हो।। कभी गृहणी कभी कर्मस्वरुपा, नये नये तेरे रूप अनूपा, कभी तनुजा कभ…
नारी प्रेम की परिभाषा है - कविता - महेन्द्र सिंह राज
नारी प्रेम की परिभाषा है आँचल में उसके दूध भरा, जिसके प्रेम की पावन वृष्टि से घर का हर कोना है हरा भरा। नारी सृष्टि की आदि शक्ति है…
स्त्री और प्रेम - कविता - स्मृति चौधरी
एक स्त्री की तरह... प्रेम... पर्याप्त, निस्वार्थ, अखंड, संपूर्ण होता है, एक स्त्री की तरह... प्रेम... जीवन में जब आता है, विस्तृत तरंग…
नारी - कविता - डॉ. सरला सिंह "स्निग्धा"
हर युग को झेला है जिसने, हार नहीं पर मानी वह नारी। स्वाभिमान को गया दबाया, सिर नहीं झुका वह है नारी। जीवन के दो पहलू कहलाते, फिर भी इक…
बीत गया महिला दिवस - दोहा छंद - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
शोर-शराबा थम गया, शांत हुआ परिवेश। बीत गया महिला दिवस, जश्न हुआ अब शेष। सम्मानों की साज से, सजी नारियाँ खूब। एक दिवस ख़ातिर सही, गई जश्…
नारी सम्मान - कविता - आलोक रंजन इंदौरवी
घर रूपी उपवन शोभित भी नारी से होता है, मन रुपी मधुबन शोभित भी नारी से होता है। मर्यादा प्रेम सुवासित हो इससे महका करता, गीतों के सावन …
उग रही औरतें - कविता - रमेश कुमार सोनी
सिर पर भारी टोकरा टोकरे में है - भाजी, तरकारी झुण्ड में चली आती हैं सब्जीवालियाँ भोर, इन्हीं के साथ जागता है मोहल्ले में; हर ड्योढ़ी पर…
नारी सृजनहार - गीत - समुन्द्र सिंह पंवार
करियो नारी का सत्कार। है ये नारी सृजन हार।। है ये नारी जग की जननी, इस बिन सृष्टि नहीं चलनी, इस बिन सूना है संसार। करियो नारी का सत्कार…
मिशन शक्ति - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
उठो अबला नारी सबला का चोंगा पा लो। देह के भूखे भेड़िओ से, अपना सम्मान बचा लो। तुम हो जितनी सरल उतनी बनो, पेंचीदा, दुनियाँ में, नही कोई …
नारी - कविता - नूरफातिमा खातून "नूरी"
नारी का जब-जब अपमान हुआ है, तब-तब ज़बरदस्त इंतक़ाम हुआ है। नारी कोमल हृदय है कमजोर नहीं, उसके त्याग, ममता का छोर नहीं। वो हँसे तो पानी क…
नारी को अधिकार मिले - कविता - डॉ. अवधेश कुमार अवध
जब से नारी को नारी का, सम्बल मिलना शुरु हुआ। वसुधा से उठकर नारी ने, हाथों से आकाश छुआ।। पग-बाधा बनकर नारी ने, नारी को अक्सर रोका। नारी…
नारी शक्ति - कविता - अवनीत कौर "दीपाली सोढ़ी"
नारी हूँ मैं, ख़ुद में ही मैं शक्ति हूँ। जीवन की हैं शक्ति मुझसे, हर जीवनी की हैं मुक्ति मुझसे, हर शक्ति का रूप हैं मुझमें, हर स्वरू…