तू वन्दनीय,
तू पूजनीय,
तू ही जगत की सार है,
तुझसे है संचलित यह सृष्टि,
"ऐ नारी" तू महान है।
तू लक्ष्मी,
तू सरस्वती,
तू शक्ति का स्वरूप है,
तुलना नहीं तेरी कोई,
तू रचना ही अद्भुत है।
तू करुणामयी दयावान है,
शौर्य की गौरवगान है,
सर्वसम्पन तू गुणवान है,
तुझसे ही तो जहान है,
अनगनित रूप है, तेरे,
तेरे अनगनित पहचान है,
तुझसे संचालित है सृष्टि,
"ऐ नारी" तू महान है।
गुड़िया सिंह - भोजपुर, आरा (बिहार)