शोर-शराबा थम गया, शांत हुआ परिवेश।
बीत गया महिला दिवस, जश्न हुआ अब शेष।
सम्मानों की साज से, सजी नारियाँ खूब।
एक दिवस ख़ातिर सही, गई जश्न में डूब।।
बनी तारिका मंच की, दुनिया किया सलाम।
ख़ास बनी हर नारियाँ, रही न कोई आम।।
ख़ास रहे हर नारियाँ, सुखी रहे संसार।
सभी नारियों को मिले, हर दिन यह सत्कार।।
डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी" - गिरिडीह (झारखण्ड)