संदेश
उड़ो तुम लड़कियों - कविता - सुनीता प्रशांत
उड़ो तुम लड़कियों छू लो आसमान कर लो मुठ्ठी में सारा जहान तोड़ दो दीवारे जो रोकती हैं तुम्हे छोड़ दो वो बंदिशे जो बाँधती हैं तुम्हे रूढ…
ओ लड़की - कविता - विक्रांत कुमार
बसंत की आहट से मन आह्लादित है अंतर्मन से खोया हूँ तुम्हें ध्यान-मग्न कर रहा हूँ गेहूँ की खेत में गलथल पगडंडियों पर लहलहाते सरसों की…
एक गुड़िया सी लड़की - कविता - रमाकान्त चौधरी
एक गुड़िया सी लड़की घर में, बातें बहुत बनाती है, है नटखट शैतान बहुत, पर सबके दिल को भाती है। घर भर को है ख़ूब रिझाती, अपनी मीठी बोली …
दुल्हन - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
मेहँदी भरे हाथ और किए सोलह शृंगार, मन में उथल पुथल कि जाने कैसा होगा ससुराल। नाज़ुक मन है, नाज़ुक तन है, और है दिल में भाव अपार, क्या सा…
चरित्रहीन - कविता - अनुष्का द्विवेदी
पंद्रह साल की लड़की हाथो पर मेहँदी से प्रेमी का नाम सजा रही है और शर्माकर हाथों को छुपा रही है। चुपके से आईना के सामने छोटी टिकुली लग…
लड़की हूँ मैं - कविता - दिव्यांशी निषाद
उलझे हुए मिज़ाज की सुलझी हुई लड़की हूँ मैं। जवाब-तलब करू तो दुनिया के लिए भड़की हूँ मैं। अपने लक्ष्य को पाने की ज़िद्दी हूँ मैं। ज़िंदगी …
तुम लड़की हो - कविता - ईशा शर्मा
तुम लड़की हो, तुम क्यों बोलती हो? तुम्हारा बोलना उन्हें पसंद नहीं, तुम जो यूँ नज़रें नीची करने की बजाय लड़कों की आँखों में आँखें डाल क…
मैं परी हूँ जीवन की - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मैं परी हूँ जीवन की, न केवल खुशी अपनों की, अहसास हूँ हर पल, चाहत हूँ नवयुग के आधान का, धरणी हूँ ममता का सतत् क्षीरसागर पालिका भविष…
उफ़ ये बेटियाँ - गीत - शमा परवीन
उफ़ ये बेटियाँ, मासूम सी ये बच्चियाँ, आरज़ूओं से दिलेर हैं, समाज से तंग ये बेटियाँ, गुलाब की ये पंखुड़ियाँ, उफ़ ये बेटियाँ। आँसूओं की …
सुनो लड़कियों - कविता - अर्चना सिंह बोद्ध
तुम्हें बनना है सावित्री जो खेलने की उम्र में निकल पड़ी थीम तुम्हारे लिये स्कूलों के ताले खोलने, जिन्हें जड़ा था धर्म के ठेकेदारों ने। व…
वो लड़की - कविता - प्रशान्त 'अरहत'
वो लड़की जिससे मेरे दिल का था कारोबार चला करता। वो लड़की जिससे मिलकर मन उपवन मेरा खिला करता। वो लड़की जब कुछ कहती तो बातों से फूल बरसते थ…
क्योंकि वो एक लड़की थी - कविता - विजय गोदारा गांधी
वो जन्म से पहले ही मार दी गई, क्योंकि वो एक लड़की थी। ज़िंदगी जीने की तमन्ना उसकी भी बहुत थी, मगर किसी ने उसे जिंदगी दी ही नही। पढ़-लिखकर…
फ़र्क़ - कविता - डॉ. कुमार विनोद
लड़कियों के पैदा होने व बाप के लिए चिंता का बीज बोनेकी वजह समाज द्वारा खाद पानी दहेज के रुप में जड़ों में डाला जाना है क्योंकि जड़…
पहचान मुझे मैं कौन हूँ - कविता - सुगन
सदियों से मैं मौन हूँ , पहचान मुझे मैं कौन हूँ । लक्ष्मी हूँ पार्वती भी हूँ , अन्नपूर्णा भी तो मैं ही हूँ । शिव के अर्धांग में समायी …
नारी वह बिदूसी - कविता - बुद्धदेव बाघ
वो अबला नहीं सबला है नारी दुर्गा अब्तारी है जंजीर तोड़के बंधन के इतिहास की अनसुनी गाथा है... झांसी की वह लक्ष्मी बाई है …
बेटियाँ - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
बेटियाँ शब्द एक प्रतीक है , अहसास है मर्यादा का , गहन अपनत्व का , माता के ममत्व का ,पिता के दायित्व का । ये बेटियां गंगा की…
पढने की उम्र मे ही पापा तुमने मेरी सगाई कर दी - कविता - चीनू गिरि
पढने की उम्र मे ही पापा तुमने मेरी सगाई कर दी ...... शादी करने के चक्कर में मेरी बन्द पढाई कर दी..... अभी तो गुडिया से खेलती माँ …
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