सुनो लड़कियों - कविता - अर्चना सिंह बोद्ध

तुम्हें बनना है सावित्री
जो खेलने की उम्र में
निकल पड़ी थीम

तुम्हारे लिये स्कूलों के ताले खोलने,
जिन्हें जड़ा था धर्म के ठेकेदारों ने।
वो ठेकेदार तुम्हें आगे बढ़ने से
हमेशा रोकेंगे।

कभी तेरी राह में समाज की बेड़ियाँ
तो कभी चरित्रहीन का तमग़ा होगा।

मगर इन सबके बावजूद,
तुम्हें उड़ना है हर बार
और छूना है आसमान।

अर्चना सिंह बोद्ध - अलवर (राजस्थान)

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