एक गुड़िया सी लड़की - कविता - रमाकान्त चौधरी

एक गुड़िया सी लड़की घर में, बातें बहुत बनाती है, 
है नटखट शैतान बहुत, पर सबके दिल को भाती है। 
घर भर को है ख़ूब रिझाती, अपनी मीठी बोली से, 
कॉपी सारी रँगती रहती, बना बना रंगोली से। 
बात-बात पर धमकी देकर, सबपर हुकुम चलाती है, 
है नटखट शैतान बहुत, पर सबके दिल को भाती है। 

इस कमरे से उस कमरे में, दिन भर चलती रहती है, 
ज़रा डाँट पर रो देती, पर बिल्कुल नहीं सुधरती है। 
मम्मी पापा भाई बहन, वह सब पर प्यार लुटाती है, 
है नटखट शैतान बहुत, पर सबके दिल को भाती है। 

कभी डॉक्टर, कभी वो टीचर, फ़ौजी भी बन जाती है, 
क्या क्या मुझको करना है, वह अच्छे से समझाती है। 
देख-देख कर दर्पण बिटिया, ख़ुद को ख़ूब सजाती है, 
है नटखट शैतान बहुत, पर सबके दिल को भाती है। 

रमाकांत चौधरी - लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)

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