संदेश
स्मृतियाँ अनिमेष - कविता - सुशील शर्मा
साँझ-सवेरे स्तब्ध, अनिमेष, निर्वाक् नाद-मय, प्लावन शिशु की किलकारी-सा। अनाप्त, अद्रवित, अप्रमेय लोच, उल्लसित, लहरिल वहाब स्नेह से आलिप…
यादों की एक तस्वीर - कविता - प्रवीन 'पथिक'
चाहत तो, जैसा रहा ही नहीं कुछ। ऑंखें यूॅं, बीते लम्हों को याद कर; बुनती है एक तस्वीर। जिसमें तुम हो, मैं हूॅं पंछियों का मधुर संगीत है…
प्रेम स्मृति - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा
मेरी स्मृतियों में हो तुम, मैं तुम्हें भुला दूँगा कैसे? अपनी यादों की तिलांजलि, बोलो आख़िर दूँगा कैसे? जो साथ तुम्हारे बीते थे, वो पल अ…
किसी पुस्तक के किसी पन्ने पर - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
किसी पुस्तक के किसी पन्ने पर, दिखाई दिया, एक कतरन नुमा काग़ज़। लिखा था कल क्या क्या, सामान लाना है, घर चलाने को। शायद जेब इसकी इजाज़त नह…
मेरी नानी - कविता - उमेश यादव
कमर झुकी है हाथ में डंडा, बड़ी सुहानी लगती हैं। माँ की मम्मी, बड़ी सुंदरी, मेरी नानी लगती हैं॥ बचपन की कुछ मीठी यादें, अब भी मन हर्षाते …
बचपन - कविता - प्रवीन 'पथिक'
है याद आती, वह बातें पुरानी, वही प्यारा क़िस्सा, वह बीती कहानी। याद आता वह तेरा मुस्काता चेहरा, थी होती लड़ाई, पर था प्रेम गहरा। जब भी …
बचपन के दिन - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
कितने सुंदर, बेमिसाल थे, छुटपन के दिन बचपन के दिन, रह ना पाते सखियों के बिन। रह ना पाते सखियों के बिन। खेलकूद थे मस्ती थी, काग़ज़ वाली क…
याद आते हो तुम - गीत - सूरज 'उजाला'
याद आते हो तुम, याद आते हो तुम जब कभी आँख से दूर जाते हो तुम व्हाट्सएप पे वो एसएमएस जो देखा सबा कुछ तो लिखते हो और फिर मिटाते हो तुम म…
याद तुम्हारी मैं बन पाता - गीत - रमाकान्त चौधरी
याद तुम्हारी मैं बन पाता तो जीवन जीवन होता। मुझे बुलाती ख़्वाबों में तुम अपना मधुर मिलन होता। रोज़ मुझे तुम लिखती पाती, उसमें सब सपने ल…
मर्म-स्मृतियाँ - कविता - प्रवीन 'पथिक'
आँखों मे डर का ख़ौफ़, दिल मे भयानक मंज़र, मन मे अप्रत्याशित आशंका, और जीवन से मोह भंग– निविड़ता से उत्पन्न दुःख की ऐसी सूक्ष्म अनुभ…
यादें - कविता - ब्रज माधव
ऊँची आलमारी पर रखी कोई धूल में लिपटी किताब उसके फटे पन्ने की अधूरी कहानियों को कोरे काग़ज़ पर एकाकी गुनगुनाते किसी याद से जन्म लेती है …
अनोखा स्वप्न - कविता - प्रवीन 'पथिक'
हर उदासी की, एक कहानी होती है। जिसे पढ़ना, सब पसंद करते हैं। भोगना नहीं। हर कहानी में एक दर्द होता है! जो भले हृदय में न हो, पर,…
रविवार - कविता - राजेश 'राज' | Sunday Poem Hindi
सुन! कल रविवार है, बेफ़िक्री से खेलेंगे समय की बंदिशें दूर रख देंगे सुबह जल्दी आना। एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण योजना बनाते थे हम, मनपसंद …
माँ की याद - कविता - मेहा अनमोल दुबे
नियम, जपतप में लगे हुए, दिव्य शांत स्वरूपा, मेहा बन फुलों पर सो गई या मौन में सदा के लिए तल्लीन हो गई, दृष्टिकोण में तो सब जगह हो गई…
रोते दोनों सारी रात - कविता - राहुल भारद्वाज
कैसे भूल सकूँगा मैं, वह काली-काली अंधियारी रात। बहा ले गई जो मेरा गुलशन, कैसी थी वो काली रात॥ माँ का सर पर आँचल था, महका करता आँचल था।…
यादों के अवशेष - कविता - नीतू कोटनाला
सभ्यताओं का चेहरा तुम्हारे जैसा होता है जिसमें होते हैं मेहनत के अवशेष होती है वो गूढ़ भाषा जिसे समझा जाना मुश्किल है होते हैं वो दुख…
प्यारी माँ - कविता - मेहा अनमोल दुबे
प्यारी माँ! तुम बहुत याद आती हो, जब दिन ढलता है, जब नवरात्र का दिपक जलता है, जब साबुदाने खिचड़ी कि ख़ुशबू उडती है, जब हृदय मे पीड़ा होती …
लता मंगेशकर - लेख - सुनीता भट्ट पैन्यूली
जब कभी मुझे जीवन की अद्भुत और अलहदा अनूभूति ने भाव-विभोर किया मुझे उस आवाज़ का आलिंगन महसूस हुआ। जब कभी दुख की काहिली सी परछाई ने मेरे…
बहुत दिनों के बाद - कविता - प्रवीन 'पथिक'
बहुत दिनों के बाद, लगता है ऐसे; जैसे ज़िंदगी का दायरा सिमट गया हो एक छोटी बूॅंद में। मेघों की भीषण गर्जना, सिसकियों तक; हो गई हो सीमित।…
मधुर स्मृति - कविता - राजेश 'राज'
अत्यंत लघु परन्तु अविस्मरणीय अकीर्तित प्रेम की लंबे अंतराल के बाद एक प्रणय कहानी फिर याद आई। अब भी उतनी ही असहिष्णु, अव्यक्त अल्पजीवी …
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