यादें - कविता - ब्रज माधव

यादें - कविता - ब्रज माधव | Yaad Kavita - Yaaden - Braj Madhaw. Hindi Poem On Memory. याद पर कविता
ऊँची आलमारी पर रखी
कोई धूल में लिपटी किताब 
उसके फटे पन्ने की
अधूरी कहानियों को
कोरे काग़ज़ पर
एकाकी गुनगुनाते किसी याद से
जन्म लेती है कोई कविता।

गरम थपेड़ों से थकी-थकी
बार-बार गिरते तिनकों से
चिड़िया जब बनाती है घोंसला
जब चहकता है उसमें एक परवाज़
भविष्य का
तो उस अभिमानी हौसले से
जन्म लेती है कोई कविता।

कोई पल मुलायम
जिसकी छुअन 
कौंधा देती हैं बिजलियाँ
दिल-ओ-दिमाग़ में,
कोई कठोर 
खुरदरापन जिसका छील देता है
अंतर्मन को
इन उबर खाबड़ पलों में भी
जन्म लेती है कोई कविता।

और मैं कह रहा था
कि अगर मैं कठोर न होता
तो जन्म न देता
इतनी काली कविताओं को।

ब्रज माधव - हटिया, राँची (झारखण्ड)

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