मर्म-स्मृतियाँ - कविता - प्रवीन 'पथिक'
सोमवार, अक्टूबर 23, 2023
आँखों मे डर का ख़ौफ़, 
दिल मे भयानक मंज़र, 
मन मे अप्रत्याशित आशंका, 
और जीवन से मोह भंग– 
निविड़ता से उत्पन्न 
दुःख की ऐसी सूक्ष्म अनुभूतियाँ है– 
जो आत्मा को महाशून्य में ले जाती हैं। 
जिसकी मर्म स्मृतियाँ; 
किसी धुँधले आकृतियों में 
देखा जा सकता है; 
हल्के स्पंदन के साथ। 
भवितव्य की चीख़, 
वर्तमान का गला चीर देती। 
यथार्थ का ताडंव-नर्तन, 
प्रारब्ध के चक्र को; 
एक सूनी पथ पर ला छोड़ता है। 
जहाँ लक्ष्य के सभी द्वार, 
अकस्मात; दूर से ही 
बंद नज़र आते हैं। 
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर

 

 
 
 
   
     
 
 
 
 
 
 
 
 
 
