स्मृति के झूंडों में - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा

स्मृति के झूंडों में - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा | Hindi Kavita - Smruti Ke Jhoondon Mein - Hemant Kumar Sharma. स्मृति पर कविता
किसी ठिकाने का नहीं,
बरबस आँखें छलक पड़ी।
बादल घने थे हृदय पर,
बूँदे पलकों से ढलक पड़ी।

होश में कब था,
और न होने की आशा,
बूँदों में अन्तर की भाषा।
अपनापन देख घटा में,
आँखें खुलके बिलख पड़ी।

स्मृति के झूंडों में
क्या क्या निहित था,
और क्या विहित था,
बस बोझ हिय में भर आया,
और काग़ज़ पर
वेदना उतर पड़ी।

बादल घने थे हृदय पर,
बूँदे पलकों से ढलक पड़ी।


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