व्यर्थ बहता जीवन - मनहरण कवित्त छंद - पवन कुमार मीना 'मारुत'
शनिवार, अगस्त 16, 2025
पदार्थ प्यारा प्राणों से समझो सुहृद सब,
मृग-मरीचिका मरुस्थल माय कहा है।
इतराता इंसान परवाह प्राण की नहीं,
रंगहीन रूहानी जन जीवन कहा है।
प्रकृति पुकारती पढ़ाती पाठ पहचानो,
बिना जीवन जीवन जहन्नुम कहा है।
व्यर्थ बहे बूँद-बूँद पानी पानी न “मारुत”,
मानव काया का कतरा-कतरा बहा है॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर