मनचाहा किसको मिला - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
बुधवार, नवंबर 26, 2025
मनचाहा किसको मिला, क्यों करता है क्रोध।
ईश कृपा जो कुछ मिला, करो तोष नव शोध॥
मनचाहा किसको मिला, चाहत समझ अनंत।
मत भटको लालच कुपथ, चाह नहीं है अंत॥
मनचाहा किसको मिला, कौन जगत सन्तुष्ट।
नित प्रयास हो श्रेष्ठतम, क्यों होते हो रुष्ट॥
पौरुष निज कर्त्तव्य है, सकल सिद्ध फल योग।
मनचाहा किसको मिला, शोक बड़ा है रोग॥
रखो देशहित चाह मन, निरत राष्ट्र निर्माण।
मनचाहा किसको मिला, क्यों होते निष्प्राण॥
निज पौरुष जो कुछ मिला, पाओ तुम संतोष।
वृथा विभव मद लोभ तम, हेतु घृणा छल रोष॥
मनचाहा किसको मिला, कठिन लोक कथनीय।
निर्भर समझो तुष्टि मन, वैसा स्वीकरणीय॥
मनचाहा नित असम्भव, कर्म नियति संयोग।
आहत मत कर चित्त को, जो पाया कर भोग॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर

