वन्दनीय भारत - रूप घनाक्षरी छंद - पवन कुमार मीना 'मारुत'

वन्दनीय भारत - रूप घनाक्षरी छंद - पवन कुमार मीना 'मारुत' | Roop Ghanakshari Chhand - Vandniy Bharat - Pawan Kumar Meena
(1)
वन्दना वर वतन विधाता की करते हैं,
विश्व विख्यात बुद्ध भारत-भूमि का था लाल।
मध्यम मार्ग महानायक ने निकाला न्यारा,
पाया पूर्ण वरदान विश्व था बड़ा बेहाल।
सत्य शांति अहिंसा अपनाओ बताई बात,
शास्वत शांति सकल संसार सुझाई लाल।
अत्याचारी अंगुलिमाल से शैतान सुधारे,
शुद्ध बुद्ध बने था जिनका जीवन जंजाल॥

(2)
शिक्षा शिरोमणि समस्त संसार का कहाता,
नालन्दा नाम विश्वविद्यालय वह विशाल।
प्रसिद्ध प्राचीन पाठशालाएँ पहचान थी,
तक्षशिला, विक्रमशिला व वल्लभी विशाल।
विद्यार्थी विदेशों से शिक्षा-संस्कृति हेतु आते,
बुद्धमय बने थे एशिया-यूरोप विशाल।
भारत-भू की जय-जयकार जग करता,
पाकर पाक बुद्ध वाणी विश्व हुआ निहाल॥


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