सावन की बरसात - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
शनिवार, जुलाई 05, 2025
ग्रीष्मातप सूखी धरा, छाया नभ घनश्याम।
सावन की बरसात अब, बरस रही अविराम॥
रिमझिम मधुरिम बारिशें, भरे खेत खलिहान।
प्रीत हृदय सावन मिलन, ख़ुशियाँ मिले किसान॥
दमके बिजुली व्योम में, घोर घटा घनश्याम।
रिमझिम बरसे बारिशें, मौसम है अभिराम॥
हरियाली मुदिता प्रकृति, गिरि सरिता वनकुंज।
बूँदें झम झम बरसती, सुरभित कुसुमित पुंज॥
दादुर बादुर गूँज चहुँ, टर्र टर्र उद्घोष।
खोल पंख नच श्रावणी, मन मयूर संतोष॥
खिले कमल सरिता सरसि, सावन बरखा मास।
परिणीता साजन मगन, आश मिलन अभिलास॥
भींगे तन मन बालपन, सावन की बरसात।
राहत आहत गर्मियाँ, युवा वृद्ध दिन रात॥
हरियाली चारों तरफ़, तरुवर हरित निकुंज।
बरसाती बौछार से, महके कुसुमित पुंज॥
आँख मिचौली अरुणिमा, सावन मेघा संग।
कभी छिपे सूरज घटा, कभी घटा रवि रंग॥
भींगे तन बरसात में, कजरी गूँजे गान।
प्रीत युगल अठखेलियाँ, चारु मधुर मुस्कान॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर