कब यहाँ जातिवाद खत्म हो पाएगा
कब मानव सुखी जीवन जी पाएगा।
इस दौर में मानवता शर्मसार हो रही
पता नहीं ये दौर कब जाएगा।।
इस दौर ने झेली बहुत त्रासदी की मार
कैसे लौटेगी अब वो फूलों की बहार।
इस जगत को ज़हर से कौन बचाएगा
ना जाने ये दौर कब जाएगा।।
जब पाखण्ड विरल हो जाएगा
जब भारत खुशहाल बन जाएगा।
कोरोना महामारी से जूझ रहा है देश
ना जाने ये दौर कब जाएगा।।
आज नारी नहीं है सुरक्षित देश में।
पिशाच है आज नर के भेष में।
अब नारी की रक्षा कौन कर पाएगा
ना जाने ये दौर कब जाएगा।।
जब देश में अन्धविश्वास मिट जाएगा
तब नारी जीवन सुरक्षित हो पाएगा।
अन्धविश्वास का दंश नारी झेल रही
ना जाने ये दौर कब जाएगा।।
कब देश का सत्ताधारी जाग पाएगा।
क्या कुम्भकर्ण सोया चेतना पाएगा।
जनता का दुःख दर्द नेता क्या जाने।
ना जाने ये दौर कब जाएगा।।
अरविन्द कालमा - साँचोर, जालोर (राजस्थान)