संदेश
आधुनिकता और संस्कार - लेख - दीक्षा अवस्थी
आज के इस आधुनिकतम युग में हमें संस्कृति, सभ्यता व संस्कारों को दरकिनार नहीं करना चाहिए। नैतिकता, शिष्टाचार हमारे जीवन में महत्वपूर्ण …
शोकाकूल स्तब्ध हूँ - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
निःशब्द मौन शोकाकूल स्तब्ध हूँ, क्रन्दित मन शर्मसार प्रश्नचिह्न हू्ँ। खो मनुजता कुकर्मी बस दंश बन, क्या कहूँ, क…
मौत के हकदार - गीत - समुन्द्र सिंह पंवार
जो करते बच्चियों से बलात्कार। वे हैं मौत के हकदार।। उनसे कैसी हमदर्दी, जो हैं बेगैरत बेदर्दी, जो करते इज्जत तार - तार। …
नारी की दुर्दशा - कविता - आशाराम मीणा
मानवता मर चुकी हैं, इन कलयुगी सरकारों में। हाथरस की गैंगरेप की, ना खबर हैं अखबारों में।। दलित की बेटी को क्या हक है मानवाधिकारों में।…
स्वास्थ्य से बड़ा कोई सुख नहीं - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
कहावत है, पहला सुख निरोगी काया। कोई भी आदमी तभी अपने जीवन का पूरा आनंद उठा सकता है जब वह शारीरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ रहें। स्वस्थ …
बेटी की अभिलाषा - कविता - अरविन्द कालमा
अभिलाषा रखो घर में हो जान बेटी की। ना करो कोई भेदभाव सा व्यवहार बेटी से।। बलि दी जाती बेटी के अरमानों की और। कुल के सम्मान की उम्मीद र…
सुहागन - कविता - पूजा सिसोदिया "साधना"
सुहागन बन के आई थी तेरे घर, सुहागन बनके ही जाना चाहती हूँ। अर्थी का सिरा टिका हो तेरे कांधे, श्मशान तक सहारा पाना चाहती हूँ। रोज तुझे …
वृद्ध - कविता - रंजन साव
मैं उड़ता हूँ उड़ता ही जाता हूँ रूकता हूँ तो थक कर चूर हो जाता हूँ। शायद पेशानी की लकीरें उभर आई है। अब सालों बीत जाने पर उम्र ढल आई …
ज़िन्दगी के पल - कविता - पूनम बागड़िया "पुनीत"
हाँ.. मुझे याद है, ज़िन्दगी से मैंने, दो पल चुराये थे एक पल, जी भर हँसी, दूजे पल आँसू बहायें थे वक़्त के पेड़ से लटका है, हर एक पल जो टूट…
बापू तेरे देश में - कविता - मोहम्मद मुमताज़ हसन
गोरों को था मार भगाया तूने, आज़ादी का ध्वज फहराया तूने! दी कुर्बानी देश की खातिर , मिटे देशभक्ति के आवेश में! लेकिन अब क्या हो रहा है, …
बापू - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
शील त्याग गुण कर्म का, मानक था जो लोक। सत्य अहिंसा सारथी, गाँधी थे आलोक।। सहज सरल नित सादगी, मृदुभाषी सद्नीति। शान्ति दूत अतुलित प्रखर…
प्रकटे बापू - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
दो अक्टूबर महापर्व है, भारत के इतिहास में प्रकटे बापू भानु इसी दिन, धरा देख तम पाश में। सत्य अहिंसा व्रत को लेकर, चरख चक्र ले हाथ मे…
लाल बहादुर शास्त्री - आलेख - अंकुर सिंह
आज महात्मा गांधी के साथ-साथ देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्मदिन भी है, शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर को शारदा…
दो अक्टूबर - कविता - नूरफातिमा खातून "नूरी"
दोनों फूलों ने हिन्दुस्तान को महकाया, भारत के वीर सपूत होने का वचन निभाया। एक ने जय जवान-जय किसान का नारा दिया, डूबते हुए भारत को मजब…
बापू क्या करोगे यहाँ आकर? - लेख - सतीश श्रीवास्तव
पूज्यनीय बापू, सादर प्रणाम। बापू आपके सपनों का भारत वैसा नहीं बन सका इस बात का हमें कम और उन्हें ज्यादा खेद रहता है जिनके कन्धों पर दे…
लाचार - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
गांधी तेरे देश में आज भी तेरे बंदर मौन हैं, अब तो लगता है उन्होंने ने भी इसे नियति का खेल समझ लिया है क्योंकि अब वे भी विचलित कहां हैं…
पाश्चात्य परिधान एवं आधुनिक विचार - निबंध - प्रवीन "पथिक"
"तन परिधारणात् परिधानः" आचार्य पाणिनि का यह कथन परिधान की सार्थकता को पूर्णरूपेण परिलक्षित करता है, परंतु वर्तमान काल में यह…
मन वेदना - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
अहंकार निज बुद्धि का, तिरष्कार नित अन्य। दावानल अज्ञानता, करते कृत्य जघन्य।।१।। श्रवणशक्ति की नित कमी, कोपानल नित दग्ध। तर्क…
बलात्कार - कविता - सूर्य मणि दूबे "सूर्य"
हैवानों की हवस का कब तक शिकार होंगी एक एक करते करते कितनी निर्भया जांन निसार होंगी। न तरस आता है उन्हें किसी पर उन्हें नियम कानून का…
आखिर कब तक? - कविता - संतोष सिंह
सींची होगी जमीं, अश्रुओं की बरसात से। गुनहगार तेरा ये समाज है, इस कुकर्म बिसात से। दिल्ली, उन्नाव, हाथरस, ये क्या हो रहा है ? मां भार…
मुस्कान बन के आये हो - ग़ज़ल - डॉ. यासमीन मूमल "यास्मीं"
ग़मे-हयात में मुस्कान बन के आए हो।। ख़िज़ां के दौर में रंगे बहार लाए हो।। न शर्मसार किये हो न आज़माए हो। ग़ुरूर ये है फ़क़त दिल से दिल लगाए ह…
बेटी - कविता - अतुल पाठक
स्वागत के साथ आने दो बेटी, घर-घर में भाग्य लाती है बेटी। मुस्काए तो लगती सुमन बेटी, अंधकार में उजाले की किरण बेटी। चिड़िया की तरह चहकती…
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर