जो करते बच्चियों से बलात्कार।
वे हैं मौत के हकदार।।
उनसे कैसी हमदर्दी,
जो हैं बेगैरत बेदर्दी,
जो करते इज्जत तार - तार।
वे हैं मौत के हकदार।।
दो सरेआम उनको सजा,
चखादो बलात्कार का मजा,
करे जन - जन यही पुकार।
वे हैं मौत के हकदार।।
हैं जितने वहशी दरिंदें,
ना रहने चाहिये जिन्दे,
दो तड़पा - तड़पा मार।
वे हैं मौत के हकदार।।
करो जल्दी उनका निपटारा,
बसे सुख से देश हमारा,
हारा लिख - लिख ये पंवार।
वे हैं मौत के हकदार।।
समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)