बापू - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

शील त्याग गुण कर्म का, मानक था जो लोक।
सत्य अहिंसा सारथी, गाँधी थे आलोक।।

सहज सरल नित सादगी, मृदुभाषी सद्नीति।
शान्ति दूत अतुलित प्रखर, संकल्पित सद्प्रीति।।  

निर्मल मन निर्भय सबल, निर्विकार व्यक्तित्व।
क्रान्तवीर रणबाँकुरा, बापू का अस्तित्व।।

धीर वीर अति साहसी, यायावर संघर्ष।
दीन हीन पीड़ित दलित, चाहत था उत्कर्ष।।

जिद्दी था सिद्धान्त का, शोक नहीं उपहास।
राम राज्य मन कामना, मानवता आभास।।

अंग्रेजी शासन विरत, बिगुल बजा आगाज़।
चंपारण सत्याग्रही, ले चला साथ समाज।।

जिधर बढ़ा बापू चरण, बढ़े कोटि पग ओर।
भृकुटि जिधर तानी उधर, गड़ी नज़र जग छोर।।

लिपट धौत कृशकाय वह, पगदण्डी ले साथ।
आज़ादी कुरुक्षेत्र ले, कोटि कोटि जन हाथ।।

नमक विरोधी क्रान्ति का, क्रान्तवीर सरताज।
बैरिस्टर था न्यायपथ, शान्ति रथी आवाज़।।

दमन  रालेक्ट एक्ट सम, जनाक्रोश  चहुँओर। 
कालिख पत्र  विरोध  में, गांधी रण घनघोर ।।

उद्घोषण जनक्रान्ति का, जन नायक  संग्राम।
अंग्रेजों छोड़ो वतन, वरना रण अविराम।। 

अग्निकुण्ड है जल रहा, गोरे होगे राख।
करो मुक्त माँ भारती, ब्रिटिश बचा निज साख।। 

करम चन्द्र माँ भारती, सम्मोहन गणतंत्र।
मुक्ति करायी दासता, भारत हुआ स्वतंत्र।। 

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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