बापू तेरे देश में - कविता - मोहम्मद मुमताज़ हसन

गोरों को था मार भगाया तूने,
आज़ादी का ध्वज फहराया तूने!
दी कुर्बानी देश की खातिर ,
मिटे देशभक्ति के आवेश में!

लेकिन अब क्या हो रहा है,
बापू तेरे देश में!

राजनीति बन गई अखाड़ा,
'वोट बैंक' का बजे नगाड़ा!
तस्वीर लगा होती रिश्वतखोरी,
रखा क्या 'सत्यवादी' सन्देशमें!

कैसी मानसिकता आई है,
बापू तेरे देश में!

'सत्य-अहिंसा' का कोरा मंत्र,
चल रहा'झूठवाद' से प्रजातंत्र!
अंग्रेजों-सी मूरत दिखती
है खददरधारी वेश में!

कैसे  आएगा 'राम राज' बोलो,
बापू तेरे देश में!

'गणतंत्र'आज भयभीत दिखता,
सड़कों पर  क़ानून है बिकता!

देश पे छाए संकट के बादल,
तनाव हुआ जब धर्म-विशेष में!
खतरे में भाईचारा सदियों का
बापू तेरे देश में!

गांधी तेरे तीनों बन्दर,
गए सलाखों के अंदर!
सत्ता मिल जाती है यूं भी,
साम्प्रदायिक झगड़े-क्लेश में!

भूल गए वो मूलमंत्र तुम्हारा जो-
दिए राष्ट्र के नाम सन्देश में!

ये क्या हो रहा है देखो - 
बापू तेरे देश में!!

मोहम्मद मुमताज़ हसन - रिकाबगंज, टिकारी, गया (बिहार)

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