लाचार - कविता - सुधीर श्रीवास्तव

गांधी तेरे देश में
आज भी तेरे बंदर मौन हैं,
अब तो लगता है
उन्होंने ने भी इसे
नियति का खेल समझ लिया है
क्योंकि अब वे भी विचलित कहां हैं
तभी तो अन्याय, अत्याचार, 
नीति अनीति, भ्रष्टाचार
लूटमार, हत्या, बलात्कार
राजनेताओं के कारनामों पर
एकदम मौन हैं,
आँख, कान, मुँह बन्द किये
जैसे बड़ा ही चैन है।
उन्हें पता है कि
क्या क्या हो रहा है,
आपके नाम का तो
असर खो रहा है,
आपके मौन का 
पूरा असर दिख रहा है,
आपके आदर्श महज
मजाक बन रहे हैं।
लगता है आपके बंदर भी
आपकी तरह लाचार हैं,
आपके इस देश में शायद
दो अक्टूबर को 
आपको याद कर लेना ही
सबसे बड़ा विचार है।
ऐसा लगता है कि देश में
गांधी ही सबसे लाचार हैं।

सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)

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