संदेश
मैं शिक्षक निर्माणक हूँ - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
शिक्षण हेतु बना मैं शिक्षक, नीति रीति पथ परिपोषित हूँ। नव जीवन नवयुग आधानक, मैं नित शिक्षक निर्माणक हूँ। विनयशील हो त्याग…
सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन: महान व्यक्तित्व - आलेख - सुधीर श्रीवास्तव
प्रख्यात दर्शन शास्त्री, महान हिंदू विचारक, चिंतक, शिक्षक सर्वपल्ली डा.राधाकृष्णन का जन्म 05 सितम्बर 1888 में मद्रास (अब चेन्नई) से…
शिक्षक - कविता - अंकुर सिंह
प्रणाम उस मानुष तन को, शिक्षा जिससे हमने पाया। माता पिता के बाद हमपर, उनकी है प्रेम मधुर छाया।। नमन करता उन गुरुवर को, शिक्षा दें मुझ…
धरती के दिनकर - मुक्तक - सुषमा दीक्षित शुक्ला
तमतोम मिटाते हैं जग का , शिक्षक धरती के दिनकर हैं । हैं अंक सजे निर्माण प्रलय , शिष्यों हित प्रभु सम हितकर हैं । शुचि दिव्य ज्…
शिक्षक आत्मिक दर्शन - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
क्या लिख दूं मैं चरणों की गाथा जिन चरणों में है स्वर्ग बसा, निरंकार मैं की ज्योति से ही साकार ब्रह्म ने रूप धरा, राम वही है कृष…
नारी और न्याय - कविता - सुनीता रानी राठौर
नारी सशक्तिकरण का सर्वत्र नारा है, नारी और न्याय शब्द मात्र छलावा है। नारी अस्मिता हर पल घिरा खतरे में, नारी शोषण का दिखता बोलबाल…
अपना फ़र्ज़ - गीत - राहुल सिंह "शाहावादी"
मान रखेगा तू पुरखों का, सदा देश का हित करना। इस धरती का कण-कण सोना, तुम सदा ध्यान इसका रखना।। है अब भार वतन का तुझपर, …
जिस्म का लिबास रहो तुम - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन
यूं न तन्हा-उदास रहो तुम, दिल के आसपास रहो तुम ! मिटा दो शक की सब तहरीरें, रिश्तों का एहसास रहो तुम ! बेवफ़ाई को कर दर-किनार, …
पुनर्मूषको भव: - कविता - सुधीर कुमार रंजन
आज़ मन में, एक बार फिर, वही सवाल आया ? कि आदमी जब, जन्म लेता है, और फ़िर मरता है, तब वह नंगा, क्यों दिखता है ? कुछ भी तो उसक…
माँ - कविता - कपिलदेव आर्य
भीग जाते हैं शफ़े और काग़ज़ भी, मैं जब भी कलम से माँ लिखता हूँ! हे माँ, लफ़्ज़ों में तेरी सूरत झलकती है, मैं फिर वही नन्हा सा बच…
कुछ पल तेरे संग - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
कुछ पल तेरे संग बिताएँ, स्वप्निल दुनिया साथ रचाएँ। जिए साथ हम बन हमजोली, नवजीवन आलोक जगाएँ। अन्तर्मन अवसाद भुला…
आज का रावण - कविता - राजीव कुमार
आज का रावण ज्यादा हाई-टेक है, वह आज भी राम की कुण्डली लिखता है। सीता को पहले से ही हर कर अंगिका बना बंदिनी बना देता है उ…
शिक्षक - कविता - अतुल पाठक
कोरोना महामारी के दौर में भी, शिक्षक विद्यालय जाते हैं। हम बच्चे घर पर बैठे उनसे, ऑनलाइन शिक्षा को पाते हैं। हम होते बच्चे को…
तीन लोग - कविता - आलोक कौशिक
तीन लोग संसद के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे और नारे लगा रहे थे एक कह रहा था हमें मंदिर चाहिए दूसरा कह रहा था हमें मस्जिद …
इश्क़ से इस्तीफा - कविता - मनोज यादव
पहली मर्तबा सरेबाजार देखा तुझे तो सोच लिया, यही एक काम जिंदगी भर करूँगा। दुनियाबी सितम से बेपरवाह रहूंगा और नही दूंगा इश्क़ से इस…
माफ़ी - गीत - संजय राजभर "समित"
मनुजता का लाज रखना है। सहज होकर माफ़ करना है।। भारी मन बस एक बोझ है, क्रोध, बदला, कलुषित सोच है। निश्छलता में सहज प्रीत है, स…
जल है तो कल है - कविता - सुनीता रानी राठौर
जल बचाओ जीवन बचाओ, नदी का जल स्वच्छ बनाओ। तालाब में जल संग्रहित कर, वर्षा के बहते जल बचाओ। जल है तो सबका जीवन है, हर प्राण…
चिंता - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
बहुत कठिन है चिंता को परभाषित करना, हमारा काम है बस चिंता, चिंता और चिंता से ही मुक्ति की कोशिश करना। चिंता चित्त की चिता बनकर…
मधुर रिश्ते - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मधुरिम रिश्ते नित सुखद, हैं जीवन वरदान। अति कोमल नाजुक सतत, निर्भर नित सम्मान।।१।। निर्भर हो रिश्ते मधुर, त…
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