तीन लोग - कविता - आलोक कौशिक

तीन लोग 
संसद के बाहर 
प्रदर्शन कर रहे थे 
और नारे लगा रहे थे 

एक कह रहा था 
हमें मंदिर चाहिए 
दूसरा कह रहा था 
हमें मस्जिद चाहिए 
और तीसरा कह रहा था 
हमें रोटी चाहिए 

कुछ वर्षों के बाद 
मंदिर वाला और मस्जिद वाला 
संसद के भीतर दिखने लगा 
और रोटी वाला 
संघर्ष करता हुआ 
अपनी रोटी के लिए 

आलोक कौशिक - बेगूसराय (बिहार)

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