कुछ पल तेरे संग - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

कुछ   पल  तेरे  संग  बिताएँ,
स्वप्निल दुनिया  साथ  रचाएँ।
जिए साथ हम बन हमजोली,
नवजीवन   आलोक  जगाएँ। 

अन्तर्मन    अवसाद   भुलाएँ,
बिम्बाधर   मुस्कान   खिलाएँ।
प्रेम युगल  जीएँ   कुछ  लम्हें,
आओ  खुशबू   प्रीति  जगाएँ।

एकान्त  प्रिये  नव राह बनाएँ,
प्रकृति   प्रेम  उपहार  सजाएँ।
प्रेम  सरित   गंगा सम  पावन,
अवगाहन    मानस  महकाएँ। 

सदा  प्रेम  अभिलाष   जगाएँ,
आँखों   में   प्रेमाश्रु      बहाएँ।
मादक  हृदय सुरभित  साजन, 
नव  खुशियों का  दीप जलाएँ। 

कुछ पल जीवन सफ़ल बनाएँ,
बने   एक   हम   रूप   निहारें।
अन्तस्थल भावों   में    खोकर,
आशिक  शुभ इतिहास रचाएँ।  

घनश्याम  घटा  जल  बरसाए,
स्नेहिल चकोर प्यास   बुझाएँ।
सावन  के   मनहर  बयार   में,
कोकिल स्वर में  गान  सुनाएँ।

ध्येय   सकल  मधुमास बनाएँ,
रसाल  मुकुल प्रियतम  हर्षाएँ।
भ्रमर गीत बन प्रिया  चमन में,
गीत   नया   गुलज़ार   बनाएँ।। 

नीलाभ विमल अरुणिम प्रभात,
सजनी    प्रिय  रसराज  बनाएँ।
बन  यायावर  संगम  पथ   पर,
प्रेमहृदय    सरताज      बनाएँ।टं

रोमांचित प्रिय   मुखहास मधुर,
कुसुम कली को मिल सहलाएँ।
गात्र  मनोहर सरसिज चितवन,
मनमयूर   रति    रास    रचाएँ। 

आओ प्रिये पशु खग बहलाएँ,
चन्द्रप्रभा निशि हम  चमकाएँ।
बन  स्वर्ग परी अभिराम  हँसी,
कुछ पल जीवन  संग बिताएँ। 

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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