संदेश
भूख हड़ताल - कहानी - प्रवीण श्रीवास्तव
अहिंसक और स्वाभिमानी व्यक्तियों का सबसे अचूक अस्त्र है अनशन , जिसको हम भूख हड़ताल भी कहते है । भूख हड़ताल में प्रायः ऐसे व्यक्तियों…
जिंदगी में कहां सुभीते हैं - कविता - डॉ. राजेन्द्र गुप्ता
रोज मरते हैं रोज जीते हैं, जिंदगी में कहां सुभीते हैं । वह गया फिर ना फिरा और न ली सुधि घर की असुअन की धार थमी नयन घट रीते हैं …
साहित्य जगत के अनमोल रतन : मुंशी प्रेमचंद - आलेख - अतुल पाठक "धैर्य"
प्रेमचंद बहुमुखी प्रतिभा के गुणी साहित्यकार थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में जन साधारण की भावना, परिस्थितियाँ और उनकी समस्याओं का बखूबी…
मुंशी प्रेमचंद - कविता - सतीश श्रीवास्तव
ईदगाह सी लिखी कहानी और गबन गोदान, दर्द लिखा है निर्धन जन का लेखक हुए महान। प्रेमचंद की सभी कथाएं सुनी पढ़ी जाती हैं, बूढ़ी काकी …
चुनौतियां - कविता - मधुस्मिता सेनापति
जिंदगी में उलझने आएंगी जरूर तुम सुलझाते रहना रुकावट आएगी जरूर तुम गिरावट को प्रसय न देना.......!! हो जाए कुछ भी लेकिन तुम हार …
मानिनी - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मदमाती गुनगुनाती अभिलाष मन, माननी बन रागिनी रही रात भर। अति चपला इठलाती अनुराग मन, रागिनी सजन खोयी …
तू याद बहुत आई - कविता - शेखर कुमार रंजन
आज तुम बहुत, याद आ रही हो याद हैं न पूछे थे, कहाँ जा रही हो तू सही न बताई, खता क्या हुई थी मोहब्बत हुई थी, तुम्हें भी मुझे भ…
वह मेरे नयनों के तारे है - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
वह मेरे नयनों के तारे । जो मेरे दो लाल दुलारे । वह गुरूर हैं अपनी मां के । पापा के वह राज दुलारे । एक अगर है सूरज जैसा। दूजा…
श्रावण आया - गीत - श्रीमती आशा लखन कौरव
श्रावण आया अपने आंगन नाचो गाओ झूम उठो... मुखडा चमके ऐसे जैसे गगन में चमके चंदा पहनावा ऐसे दमके जैसे दमक रहा हो चंदा होंठो की ला…
तुम भी घर पर रहना - कविता - सतीश श्रीवास्तव
मजबूरी है इस भाई की दुःख से कहता बहना, यह कोरोना काल कठिन है तुम भी घर पर रहना। रहें सुरक्षित यहां सभी हम मानें सब निर्देश, रह…
पाएँ मधुरिम मीत - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
दोस्त नाम विश्वास का , त्याग समर्पण नेह। जीवन की दृढ़तर कड़ी , रक्षक विपदा गेह।।१।। झंझावातों से भरा , संजीवन है मित्…
नेता जी - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
अब जनता भी होशियार हो गई तुम सोच समझ लो नेताजी। अब झांसे में ना आएगी, यह गणित लगा लो नेताजी । जब जब चुनाव का बिगुल बजा, तुम …
तुम्हें पा लिया - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
हमने कह क्या दिया, तुमने सुन क्या लिया छोड़िए, हमने अब दिल को समझा लिया कल्पनाओं में तुम रोज़ आने लगे शेष अब क्या रहा , जब तुम्हें…
मंनै तेरे तै प्यार होग्या - हरियाणवी ग़ज़ल - समुन्द्र सिंह पंवार
मंनै तेरे तै प्यार होग्या। जीणा यो दुस्वार होग्या।। भूल गया सुध - बुध मै तो, जब तै तेरा दीदार होग्या। तु दीखै तो चमक -चांदनी, …
ख़्वाब में आकर मुझे मिल - ग़ज़ल - डॉ. यासमीन मूमल "यास्मीं"
जब कभी चाहे तेरा दिल। ख़्वाब में आकर मुझे मिल।। हारना हो जिससे दिल से। जीतना है उससे मुश्किल।। फर्श मैं हूँ अर्श है तू। …
उम्र का फर्क - कविता - सैयद इंतज़ार अहमद
बच्चे बड़े हो जाते हैं, ख़्याल उनके फिर बदल जाते हैं, दुनिया लगती है मुट्ठी में, उसी को बदलने लग जाते हैं, कोई समझाये उनको कुछ तो ल…
हर क़दम देख भाल कर रखना - ग़ज़ल - अब्दुल जब्बार "शारिब"
मुख़्तसर से भी मुख़्तसर रखना ज़ेहन में ख़्वाहिशें अगर रखना। लाख हालात न मुआफ़िक हों, खुद को दुनिया से जोड़ कर रखना। आग से हाथ …
राखी का त्योहार - कविता - जितेन्द्र कुमार
सावन की रिमझिम फुहार, थम गए बहनों का इंतजार, भैया लाये हैं स्नेह-उपहार, आ गया राखी का त्योहार। लेकर खूब दुआएँ औ' वंदन, ब…
मैंने ऐसी किताबें पढ़ी हैं - कविता - सलिल सरोज
मैंने तुम्हें अभी पढ़ा ही कहाँ है सिर्फ जिल्द देखकर सारांश तो नहीं लिखा जा सकता अध्याय दर अध्याय,पन्ने दर पन्ने किरदारों की कितनी …
इतिहास रचो ऐ! सृजनकार - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
ऐ! भावी भारत के नव कर्णधार। ऐ! युवा शक्ति नव सृजनकार। तेरे कंधों पर है देखो ऋण अपार। है तुमसे ही आशा अब लगातार। तुम ही हो राष…
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