राखी का त्योहार - कविता - जितेन्द्र कुमार

सावन की  रिमझिम फुहार,
थम गए बहनों का इंतजार,
भैया लाये हैं  स्नेह-उपहार,
आ गया राखी का त्योहार।

लेकर खूब दुआएँ औ' वंदन,
बांध रही बहनें राखी-बंधन,
माथे लगा रही रोली-चंदन,
लग रहे भैया जैसे रघुनंदन।

खिलाके जलेबी औ' मिठाई,
बहनों ने एक  तलब जताई,
रहूँ पीहर या हो जाए बिदाई,
न भूलना ओ मेरे प्यारे भाई।

भाई का वादा, साथ हैं हम,
जब तक न छूटे अंतिम दम,
तेरी आँखें ना कभी हो नम,
मेरे माथ होगा हर तेरा गम।

रेशम-डोर से बंधा रहे संसार,
हर आंगन में व्याप्त रहे प्यार,
चहुँओर बहे हरदम प्रेम-बयार,
ये सन्देश हैं राखी का त्योहार।

जितेन्द्र कुमार - सीतामढ़ी (बिहार)

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