मुखडा चमके ऐसे जैसे गगन में चमके चंदा
पहनावा ऐसे दमके जैसे दमक रहा हो चंदा
होंठो की लाली लगती है सुंदर एवं सुरभित
नयनों का काजल होता है यूँ आंखों पर अर्पित
कोयलिया के उन गीतों से सब कोई अब झूम उठो
श्रावण आया आपने आंगन नाचो गाओ झूम उठो...
रिमझिम रिमझिम बारिश में रिश्ता खूब सजायेंगे
साजन की बाहों में रहकर सावन खूब मनाएंगे
सुंदरता का अनुपम रिश्ता प्यार भरी इन बातों से
आज बनाये कुछ ऐसा इन मेहंदी बाले हाथों से
चारो तरफ फैली हरियाली अब खुशियों से झूम उठो
श्रावण आया आपने आंगन नाचो गाओ झूम उठो...
मंद मंद मुस्कान लिए ये सुरभि सोना चाँदी है
राखी हाथ में लेकर उसने काव्य अंश को बाँधी है
आशा की खुशियां है लखन से ये सबने मान लिया
सावन का त्यौहार मनाया ये सबने जान लिया
अपनी खुशियों के लिये सब कोई ऐसा इतिहास गढ़ो
श्रावण आया अपने आंगन नाचो गाओ झूम उठो...
श्रीमती आशा लखन कौरव - कोरवा (छत्तीसगढ़)