ख़्वाब में आकर मुझे मिल - ग़ज़ल - डॉ. यासमीन मूमल "यास्मीं"

जब कभी चाहे तेरा दिल।
ख़्वाब में आकर मुझे मिल।।

हारना हो जिससे दिल से।
जीतना है उससे मुश्किल।।

फर्श  मैं  हूँ  अर्श  है  तू।
 रास्ता मैं  तू  है  हासिल।।

प्यार  में  तकरार  कैसी।
मुस्कुरा कर जीत ले दिल।।

प्यार का  है  ये  तकाज़ा।
 मैं लहर तू  मेरा  साहिल।।

मेरे  जीने   की   दुआएँ।
कर रहा है मेरा क़ातिल।।

खोलनी थी जब ज़बाँ तब।
होठ क्यूँ मेरे गए सिल।।

नेक नीयत  है  अगर  तो।
'यास्मीं' सब होगा हासिल।।

डॉ. यासमीन मूमल "यास्मीं" - मेरठ (उत्तर प्रदेश)

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