नेता जी - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला

अब जनता भी होशियार हो गई
तुम सोच समझ लो नेताजी।

अब  झांसे में ना आएगी,
यह गणित लगा लो नेताजी ।

जब जब चुनाव का बिगुल बजा,
तुम कितने पाठ पढ़ा जाते ।

लंबे  भाषण  झूठे  वादे ,
तुम  करके उसे  लुभा  जाते ।

पर कुर्सी पक्की होते ही,
मुंह फेर रहे हो नेताजी ।

अब जनता भी होशियार हो गई,
तुम सोच समझ लो नेताजी।

जनता भी हिसाब की पक्की है,
कसमे वादे सब देख लिए ।

भोली जनता का पेट काट ,
अपने खाते मजबूत किए ।

घर  बैठो  पश्चाताप करो, 
यह कुर्सी छोड़ो नेताजी ।

अब जनता भी होशियार हो गई,
तुम सोच समझ लो नेताजी।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम , लखनऊ (उ०प्र०)

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