तुम भी घर पर रहना - कविता - सतीश श्रीवास्तव

मजबूरी है इस भाई की
दुःख से कहता बहना,
यह कोरोना काल कठिन है
तुम भी घर पर रहना।
रहें सुरक्षित यहां सभी हम
मानें सब निर्देश,
रहें सुरक्षित सभी वहां पर
रहे सुरक्षित देश।
दूरी रखना मास्क लगाना 
और सभी से कहना,
यह कोरोना काल कठिन है
तुम भी घर पर रहना।
बड़ा अनोखा कितना प्यारा
राखी का त्यौहार,
रहे हमेशा अमर धरा पर
भाई बहन का प्यार।
दुःख तो मुझे बहुत है
तुम भी थोड़ा सा दुःख सहना,
यह कोरोना काल कठिन है
तुम भी घर पर रहना।
रंग ढंग दुनिया का बदला है
बदले रीति रिवाज,
हम भी पालन करें जो कहता
हमसे सकल समाज।
इस भाई की बहन तुम्हीं हो
इक अनमोल सा गहना,
यह कोरोना काल कठिन है
तुम भी घर पर रहना।
स्वस्थ रहें हम सुखी रहें हम
और न कोई भय हो,
राखी का त्यौहार सभी को
शुभ हो मंगलमय हो।
तुम भी वहां सजा लो थाली
हमने धागा पहना,
यह कोरोना काल कठिन है
तुम भी घर पर रहना।

सतीश श्रीवास्तव - करैरा, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)

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